पौष पुत्रदा एकादशी कल, इन बातों का रखें विशेष ध्यान, नोट कर लें पूजा-विधि
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से न केवल संतान की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है। पुत्रदा एकादशी को हिंदू धर्म में अत्यधिक शुभ और फलदायक माना जाता है।
10 जनवरी, शुक्रवार को पुत्रदा एकादशी है। यह व्रत उन महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो संतान सुख की इच्छा रखती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से न केवल संतान की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है। पुत्रदा एकादशी को हिंदू धर्म में अत्यधिक शुभ और फलदायक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जो महिलाएं पूरे विधि-विधान से इस व्रत का पालन करती हैं, उनकी संतान संबंधी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ उनके मंत्रों का जाप और व्रत कथा का पाठ करना अति शुभ माना जाता है।
पुत्रदा एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में दो बार आती है। यह दोनों व्रत संतान प्राप्ति और उनके कल्याण के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। एक सावन मास में तो दूसरे पौष मास में यह व्रत आता है। दोनों एकादशियां भगवान विष्णु की आराधना और संतान सुख की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
व्रत की विधि :
1. सूर्योदय से पहले स्नान : व्रती को प्रात:काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
2. भगवान विष्णु की पूजा : भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें फूल, तुलसी दल, पीले वस्त्र और मिठाई अर्पित करें।
3. व्रत कथा सुनें: इस दिन व्रत कथा सुनने और सुनाने का विशेष महत्व है।
4. भोजन : व्रती को एकादशी के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। केवल फलाहार करें या जल ग्रहण करें।
पुत्रदा एकादशी पर इसका रखें विशेष ध्यान : पुत्रदा एकादशी व्रत के दौरान सत्य, अहिंसा और संयम का पालन करना चाहिए। व्रत रखने वालों को इस दिन किसी भी प्रकार के बुरे विचारों या कार्यों से बचना चाहिए। भगवान विष्णु के सामने संतान प्राप्ति की कामना करके व्रत का संकल्प लेना फलदायक माना जाता है।
पुत्रदा एकादशी की कथा : पौराणिक कथा के अनुसार महिष्मति नगरी के राजा सुकेतुमान और रानी शैव्या को लंबे समय तक संतान सुख नहीं मिला। पुत्रदा एकादशी के पुण्य व्रत को रखने और भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई। इस कथा से प्रेरित होकर महिलाएं इस व्रत को विशेष श्रद्धा से करती हैं।
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