papankusha ekadashi 2024: आज पापाकुंशा एकादशी पर न दें तुलसी को जल, जानें नियम लाभ और पढ़ें कथा
ekadasi 2024 october प्रत्येक वर्ष दोनों पक्ष की एकादशी तिथि को एकादशी का व्रत किया जाता है। श्री हरि विष्णु जी की आराधना के लिए एकादशी व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों में एकादशी व्रत को व्रत राज कहा गया है। यहां पढ़ें व्रत कथा
ekadasi 2024 october प्रत्येक वर्ष दोनों पक्ष की एकादशी तिथि को एकादशी का व्रत किया जाता है। श्री हरि विष्णु जी की आराधना के लिए एकादशी व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों में एकादशी व्रत को व्रत राज कहा गया है । वर्ष में कुल 24 एकादशी व्रत होते हैं परंतु किसी वर्ष पुरुषोत्तम मास पढ़ने के कारण दो एकादशी व्रत बढ़ जाता है। जिस कारण से वर्ष के एकादशी की संख्या दो बढ़ जाने के कारण 26 हो जाती हैं। इस साल एकादशी व्रत 13 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। जो लोग भी इस दिन श्रद्धा भाव के साथ उपवास करते हैं। उनके घर में सुख शांति का वास बना रहता है। इस व्रत से श्री हरि विष्णु तथा माता लक्ष्मी अति प्रसन्न होते हैं। इस व्रत को पूर्ण विधि विधान के साथ एकादशी तिथि में व्रत करना चाहिए । पूजन तथा जप करना चाहिए तथा अगले दिन सूर्योदय के बाद इस व्रत उपवास का पारण करना चाहिए। क्योंकि एकादशी तिथि के व्रत का व्रत के पारण का विशेष महत्व होता है। इसीलिए द्वादशी तिथि में ही पारण कर लेना चाहिए। द्वादशी तिथि का चौथा घंटा हरिवासर माना जाता है। इसलिए चौथे घंटे में व्रत का पारण बहुत अच्छा माना जाता है।
आश्विन शुक्ल पक्ष एकादशी को पडने वाले पापांकुशा एकादशी व्रत के दिन माता तुलसी को जल नहीं देना चाहिए। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता तुलसी स्वयं एकादशी व्रत करती हैं। इसलिए जल देने से उनके व्रत में अवरोध उत्पन्न होगा। इस कारण से माता तुलसी को जल नहीं देना चाहिए परंतु भगवान पद्मनाभ को तुलसी दल जरूर अर्पित करना चाहिए। इससे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
पापांकुशा एकादशी व्रत की कथा :-
पापांकुशा एकादशी व्रत कथा के अनुसार अति प्राचीन काल में विंध्य पर्वत पर क्रोध नाम का एक क्रूर बहेलिया रहता था। उसकी संपूर्ण जीवन लूटपाट गलत संगति, हिंसा, उपद्रव, मद्यपान जैसे पाप कर्मों में लिप्त रहा। जब उसके जीवन का अंतिम क्षण आया, तब यमराज के दूत उसे क्रूर बहेलिए को लेने के लिए पहुंचे। तब यमदूत के दूतों ने बहेलिए से कहा कि तुम्हारे जीवन का समय समाप्त हो गया है और शीघ्र ही हम तुम्हें लेने आएंगे। यह सुनकर बहेलिया बहुत डर गया तथा अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंच गया। ऋषि अंगिरा के चरणों में गिरकर निवेदन करने लगा कहा कि हे मुनिवर मैंने जीवन में अपने बहुत पाप कर्म किए हैं। कृपया कोई मुझे ऐसा विधि विधान उपाय व्रत पूजा पाठ बताएं। जिससे मेरे जीवन के सभी पाप कर्म समाप्त हो जाए अथवा तथा भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त हो अर्थात मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। तब ऋषि अंगीरा ने उसे आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का पूर्ण विधि विधान के साथ व्रत करने के लिए कहा। इस व्रत को पूर्ण विधि विधान के साथ करने बहेलिया द्वारा किया गया। जिसके परिणाम स्वरुप उसके सभी प्रकार के पाप कर्म फलन समाप्त हो गए तथा उसे श्री हरि विष्णु का परम आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)
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