Hindi Newsधर्म न्यूज़On 21 January Kalashtami and monthly Krishna Janmashtami 2025 time date pooja vidhi

कालाष्टमी व मासिक कृष्ण जन्माष्टमी कल, जानें पूजन की विधि व मुहूर्त

  • Kalashtami, Krishna Janmashtami: इस साल जनवरी के महीने में एक ही दिन मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रख भोलेनाथ व कान्हा जी की उपासना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 20 Jan 2025 06:26 PM
share Share
Follow Us on
कालाष्टमी व मासिक कृष्ण जन्माष्टमी कल, जानें पूजन की विधि व मुहूर्त

हिन्दू मान्यताओं में कालाष्टमी व्रत विशेष तौर पर महत्वपूर्ण माना जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित है। हर महीने मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी पड़ती है। इस साल जनवरी के महीने में एक ही दिन मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रख भोलेनाथ व कान्हा जी की उपासना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है। आइए जानते हैं कालाष्टमी व मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूजा की विधि एवं शुभ मुहूर्त-

ये भी पढ़ें:शुक्र-शनि की युति कब तक रहेगी? जानें क्या आपको मिलेगा प्रॉफिट?

कालाष्टमी व मासिक कृष्ण जन्माष्टमी कल: हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 21 जनवरी 2025, मंगलवार के दिन हो रही है, जो अगले दिन 22 जनवरी 2025 की दोपहर 03:18 बजे तक रहेगी। दृक पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी व मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 21 जनवरी को रखा जाएगा। इस दिन धृति व द्विपुष्कर योग का निर्माण भी हो रहा है, जो शुभ माने जाते हैं।

शुभ मुहूर्त-

अभिजित मुहूर्त- 12:11 पी एम से 12:54 पी एम

द्विपुष्कर योग- 07:14 ए एम से 12:39 पी एम

अमृत काल- 04:23 पी एम से 06:11 पी एम

विजय मुहूर्त- 02:19 पी एम से 03:01 पी एम

गोधूलि मुहूर्त- 05:49 पी एम से 06:16 पी एम

ये भी पढ़ें:जनवरी में कालाष्टमी व्रत कब है? जानें मुहूर्त, पूजा-विधि व सामग्री

कालाष्टमी व मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पूजा-विधि

स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें

भगवान शिव व श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें

प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें

शिव जी को सफेद चंदन और पुष्प अर्पित करें

विष्णु भगवान को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें

मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें

संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें

मंत्र का जाप करें

पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव जी व कृष्ण जी की आरती करें

कृष्ण जी को तुलसी दल सहित भोग लगाएं

शिव जी को बिना तुलसी दल के भोग लगाएं

अंत में क्षमा प्रार्थना करें

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें