Hindi Newsधर्म न्यूज़On 15 November Kartik Purnima 2024 Dev Diwali know what will be the effect of Bhadra

कार्तिक पूर्णिमा व देव दिवाली पर कई शुभ योग, जानें क्या रहेगा भद्रा का असर?

  • Kartik Purnima 2024 Dev Diwali : इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर शुभ योगों का दुर्लभ संयोग बन रहा है। 15 नवंबर के दिन कार्तिक पूर्णिमा व देव दिवाली मनाई जाएगी। गौर करने वाली बात यह है की इस दिन सुबह से ही भद्रा लग रही है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 13 Nov 2024 10:40 PM
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Kartik Purnima 2024 Dev Diwali: कार्तिक मास की पूर्णिमा व गंगा स्नान शुक्रवार के दिन 15 नवम्बर को मनाई जाएगी। इसी दिन देव दीपावली भी मनायी जाएगी। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को सबसे पवित्र दिनों में से एक माना गया है। इस दिन व्रत, पूजन, दान और गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा पर बनने वाले शुभ योग व इस दिन भद्रा का प्रभाव रहेगा या नहीं-

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कार्तिक पूर्णिमा व देव दिवाली पर कई शुभ योग: इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर शुभ योगों का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल बताते हैं कि इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रमा मेष राशि में होकर मंगल के साथ राशि परिवर्तन योग बना रहा है। साथ ही मंगल और चंद्रमा के एक दूसरे से चतुर्थ दशम होने से धन योग भी बनेगा। चंद्रमा और गुरु के एक दूसरे से द्विद्वाश योग होने से सुनफा योग भी बनेगा। शनिदेव अपनी मूल त्रिकोण राशि में विराजमान हैं इसलिए शश राजयोग भी बन रहा है।

कार्तिक पूर्णिमा पर क्या रहेगा भद्रा का असर: पंचांग के अनुसार, इस दिन भद्रा सुबह 06:44 से शाम 04:37 बजे तक रहेगी। 15 नवंबर के दिन चंद्रमा मेष राशि में रात 03:17 बजे तक रहेंगे फिर वृषभ में प्रवेश करेंगे। मन्यताओं के अनुसार, जब चंद्रमा कर्क राशि, सिंह राशि, कुंभ राशि या मीन राशि में होता है, तब पृथ्वी पर भद्रा का वास माना जाता है। ऐसे में पृथ्वी पर भद्रा का वास मान्य नहीं होगा और न ही कोई प्रभाव रहेगा।

गंगा-स्नान का महत्व: कार्तिक पूर्णिमा को ही भगवान विष्णु अपने मत्स्य अवतार में प्रकट हुए थे। इसलिए हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है। इस दिन लोग व्रत, पूजन और दान करते हैं। वहीं, कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान व पवित्र नदियों में स्नान- दान करने से अनंत पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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देव दिवाली क्यों मनाते हैं: कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को प्रदोष काल में देव दीपावली का पर्व भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। इसलिए देवताओं ने स्वर्ग में दीपक जलाए थे। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवताओं का पृथ्वी का आगमन होता है। उनके स्वागत के लिए धरती पर दीप जलाये जाते हैं। पवित्र नदियों के तट को दीपकों से जगमगाया जाता है। वाराणसी में देव दीपावली का विशेष महत्व है।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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