Hindi Newsधर्म न्यूज़Navratri: Worship 9 forms of Goddess Durga in Navratri 2025 know the meaning and qualities of each form

Navratri: नवरात्रि में करें मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा, जानें प्रत्येक रूप का अर्थ व गुण

  • Navratri 2025: देवी दुर्गा के सभी नौ रूप नौ अलग-अलग गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। शक्ति का अर्थ है— ऊर्जा। शैलपुत्री के आध्यात्मिक शिखर से लेकर सिद्धिदात्री के चमत्कारों तक ये रूप हमें उनके दिव्य गुणों के साथ तालमेल बिठाने का मार्गदर्शन करते हैं।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, श्री श्री रविशंकरTue, 25 March 2025 09:34 AM
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Navratri: नवरात्रि में करें मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा, जानें प्रत्येक रूप का अर्थ व गुण

Navratri 2025: देवी दुर्गा के सभी नौ रूप नौ अलग-अलग गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। शक्ति का अर्थ है— ऊर्जा। देवी अदृश्य ऊर्जा का मूल स्रोत हैं, जो इस सृष्टि को बनाए रखती हैं। इस शक्ति को नव दुर्गा के रूप में भी जाना जाता है।

देवी दुर्गा का पहला नाम शैलपुत्री है। किसी भी अनुभव के शिखर पर देवी मां होती हैं। शैल का अर्थ है— शिखर, जो असाधारण है और ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए बढ़ रहा है। वह पहाड़ों की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं। शैलपुत्री वह सूक्ष्म ऊर्जा है, जिससे संपूर्ण ब्रह्मांड उत्पन्न होता है। जब भी हम आध्यात्मिक रूप से जुड़े हुए महसूस करते हैं, तो यह चेतना शैलपुत्री के रूप में परिलक्षित होती है।

दूसरा नाम ब्रह्मचारिणी है। ब्रह्म का अर्थ है— अनंत। कुछ ऐसा जो अनंत के भीतर घूमता है। आप सोच सकते हैं, अगर यह अनंत में है, तो गति का क्या मतलब है? यह हर जगह है, तो यह कहां जा सकता है? ब्रह्मचारिणी का एक अर्थ अनंत के भीतर गति है, और दूसरा ऊर्जा का शुद्ध, अछूता पहलू है। सूर्य की किरणों की तरह प्राचीन फिर भी हमेशा ताजा और नया। यह नयापन दुर्गा के दूसरे रूप में सन्निहित है।

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चंद्रघंटा तीसरा रूप है। चंद्र का अर्थ है— चांद या जो मन से संबंधित है; जो मन को मोहित कर ले। वह सुंदरता की प्रतिमूर्ति है। जहां भी कोई चीज आपको सुंदर लगती है, वह देवी मां की ऊर्जा के कारण ही होती है। अगर ऊर्जा नहीं है, तो कुछ भी सुंदर नहीं है। चाहे चेहरा कितना भी सुंदर क्यों न हो, अगर उसमें जान नहीं है, तो हम उसे सुंदर नहीं कहते। हम मृत शरीर में सुंदरता नहीं देखते, क्योंकि उसमें कोई ऊर्जा नहीं होती। यह ऊर्जा ही प्राणी मात्र में सुंदरता लाती है।

देवी मां का चौथा रूप कुष्मांडा कहलाता है। यह प्राण ऊर्जा है, चेतना जो सबसे छोटे सूक्ष्म जगत से लेकर विशाल स्थूल ब्रह्मांड तक फैली हुई है— निराकार, फिर भी सभी कल्पनीय रूपों को जन्म देती है। जब भी आप ऊर्जा या प्राण के पुंज का अनुभव करते हैं, तो जान लें कि यह दुर्गा या देवी मां का एक पहलू है।

पांचवां रूप स्कंदमाता है। यह दुर्गा का वह रूप है, जो पूरे ब्रह्मांड की रक्षा का प्रतीक है और जो हमारी चेतना में निवास करती हैं। यह ज्ञान की सभी प्रणालियों की जननी हैं।

छठा रूप कात्यायनी है। वह चेतना के द्रष्टा पहलू से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं। कात्यायन का अर्थ है— द्रष्टा। जब आप साक्षी बन जाते हैं, जब आप यह समझ जाते हैं कि ‘मैं न तो शरीर हूं और न ही मन हूं’ और अपने भीतर गहराई में उतर जाते हैं, तो आप हर चीज के द्रष्टा बन जाते हैं। चेतना की इस द्रष्टा अवस्था से ऊर्जा उभरती है और उसके साथ अंतर्ज्ञान की शक्ति आती है। आपने हमारे बच्चों में यह सहज क्षमता देखी है। यह कात्यायनी का सार है— इंद्रियों से परे देखना, तर्क से परे जानना। वह ऊर्जा कात्यायनी है।

शक्ति का सातवां रूप कालरात्रि है। यह गहरी, अंधकारमय ऊर्जा का प्रतीक है। एक ऐसा अंधकारमय पदार्थ, जो अनंत ब्रह्मांडों को धारण करता है और हर आत्मा को सांत्वना देता है। यदि आप खुश या सहज महसूस करते हैं, तो यह कालरात्रि का आशीर्वाद है। कालरात्रि देवी मां का वह रूप है, जो ब्रह्मांड से परे मौजूद है, फिर भी हर दिल और आत्मा को आराम देता है।

देवी का आठवां रूप महागौरी है। यह सुंदरता, अनुग्रह और शक्ति का प्रतीक है, जो आपको परम स्वतंत्रता और मुक्ति की ओर ले जाती है। गौरी का अर्थ है— वह जो ज्ञान प्रदान करती हैं, जीवन में गति लाती हैं और आपको मुक्त करती हैं।

महागौरी पवित्रता और निष्पक्षता की प्रतीक हैं। हम उन्हें गौरी कहते हैं क्योंकि निष्पक्षता इस नाम का प्रतीक है। लेकिन गहरे अर्थ में, ‘गौ’ ज्ञान, प्रगति, उपलब्धि और मुक्ति का प्रतीक है। गौरी वह है, जो ज्ञान प्रदान करती है। हमें जीवन में आगे बढ़ाती है। हमारी जरूरतों को पूरा करती है और अंतत: हमें मोक्ष की ओर ले जाती है।

देवी शक्ति का नौवां रूप सिद्धिदात्री है। वह देवी मां का आशीर्वाद लेकर आती हैं और जीवन में चमत्कार प्रकट करती हैं। जो असंभव लगता है, वह उसे संभव बना देती हैं। वह हमें सीमाओं से परे सोचने, तार्किक दिमाग से परे जाने और समय तथा स्थान की सीमाओं से परे देखने की अनुमति देती हैं। सिद्धिदात्री वह हैं,जो आपके प्रयासों का फल प्रदान करती हैं। आप भले ही मेहनत करें, लेकिन परिणाम आपके हाथ में नहीं हैं। यह सब देवी मां के हाथों में है। केवल उनकी कृपा से ही आपके प्रयास फल देते हैं।

शैलपुत्री के आध्यात्मिक शिखर से लेकर सिद्धिदात्री के चमत्कारों तक ये रूप हमें उनके दिव्य गुणों के साथ तालमेल बिठाने का मार्गदर्शन करते हैं। जब हम प्रत्येक पहलू पर ध्यान करते हैं, तो हम उनकी परिवर्तनकारी शक्ति को अपना सकते हैं, अपने जीवन को समृद्ध कर सकते हैं और शक्ति के सार्वभौमिक सार के साथ अपने संबंध को गहरा कर सकते हैं।

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