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Mohini Ekadashi: सुबह व शाम को इन मुहूर्त में करें मोहिनी एकादशी पूजा, जानें विधि

Mohini Ekadashi Muhurat : कल, गुरुवार के दिन मोहिनी एकादशी व्रत रखा जाएगा। मान्यताओं के अनुसार, मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है व मनोकामना पूर्ति होती है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 7 May 2025 11:59 AM
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Mohini Ekadashi: सुबह व शाम को इन मुहूर्त में करें मोहिनी एकादशी पूजा, जानें विधि

Mohini Ekadashi Muhurat : कल गुरुवार के दिन मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। मोहिनी एकादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनायी जाएगी। पंचांग व उदया तिथि के अनुसार, 07 मई को 10:20 बजे एकादशी तिथि शुरू होगी व 08 मई 2025 को दोपहर 12:29 बजे तक समाप्त होगी। मान्यताओं के अनुसार, मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है व मनोकामना पूर्ति होती है। जानें, मोहिनी एकादशी पर पूजन के शुभ मुहूर्त, भोग, विधि मंत्र व व्रत पारण समय-

शुभ योग व नक्षत्र: इस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र रात्रि 9:06 तक रहेगा, जिसके बाद हस्त नक्षत्र शुरू होगा। हर्षण योग 01:57 ए एम, मई 09 तक तक रहेगा।

सुबह व शाम को इन मुहूर्त में करें मोहिनी एकादशी पूजा

  • ब्रह्म मुहूर्त 04:10 से 04:53
  • अभिजित मुहूर्त 11:51 से 12:45
  • विजय मुहूर्त 14:32 से 15:26
  • गोधूलि मुहूर्त 18:59 से 19:21
  • अमृत काल 13:03 से 14:51
  • शुभ - उत्तम 05:35 से 07:16
  • चर - सामान्य 10:37 से 12:18
  • लाभ - उन्नति 12:18 से 13:59
  • अमृत - सर्वोत्तम 13:59 से 15:39
  • शुभ - उत्तम 17:20 से 19:01
  • अमृत - सर्वोत्तम 19:01 से 20:20
  • चर - सामान्य 20:20 से 21:39
  • लाभ - उन्नति 00:17 से 01:37, मई 09

व्रत पारण मुहूर्त: 9 मई को, व्रत तोड़ने का समय सुबह 05:34 से 08:16 ए एम तक रहेगा। इस दिन दोपहर 02:56 बजे द्वादशी समाप्त हो जाएगी।

पूजा-विधि

  1. स्नान आदि कर मंदिर की सफाई करें
  2. भगवान श्विष्णु का जलाभिषेक करें
  3. प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
  4. अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें
  5. मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
  6. संभव हो तो व्रत रखें और व्रत का संकल्प करें
  7. मोहिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करें
  8. मंत्र जाप करें
  9. पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें
  10. प्रभु को तुलसी दल सहित भोग लगाएं
  11. अंत में क्षमा प्रार्थना करें

भोग- चने की दाल, केला, मेवा, गुड़, पंचामृत, किशमिश, केसर की खीर, फल

मंत्र

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

ॐ नमोः नारायणाय नमः

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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