Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर मौन व्रत कब रखें? जानें मुहूर्त, पूजाविधि से लेकर सबकुछ
- Mauni Amavasya 2025: आज है मौनी अमावस्या। इस दिन मौन व्रत रख स्नान-दान करना महत्वपूर्ण व पुण्यदायक माना जाता है। आइए जानते हैं मौनी अमावस्या पर मौन व्रत कब, कैसे रखना चाहिए व पूजन विधि, उपाय व मुहूर्त-
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Mauni Amavasya 2025: आज है माघ महीने की मौनी अमावस्या, जिसका विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन मौन व्रत रखकर पवित्र नदी में स्नान-दान करने से बहुत पुण्य मिलता है। वैसे तो प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष के अन्तिम तिथि को अमावस्या तिथि के नाम से जाना जाता है। लेकिन माघ माह के अमावस्या तिथि पर जब सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में होते हैं, सकारात्मक ऊर्जा और बढ़ जाती है। इसलिए इस दिन मौन होकर किया गया स्नान-दान का फल भी कई गुना मिलता है। इसके अलावा अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध भी करने का विधान है।
मौनी अमावस्या पर मौन व्रत कब रखें: मौनी अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले मौन व्रत धारण कर स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। मौन रहने का संकल्प लें। विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए दिनभर मौन व्रत धारण करें। व्रत पारण कर मौन व्रत समाप्त करें। आस्था अनुसार, कुछ समय से लेकर पूरे दिन तक मौन व्रत रखा जा सकता है।
स्नान-दान मुहूर्त: पंडित सूर्यमणि पांडेय के अनुसार, स्नान-दान का शुभ मुहूर्त 29 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त से शुरू होगा और पूरे दिन रहेगा।
पूजन-मुहूर्त
- अमावस्या तिथि प्रारम्भ - जनवरी 28, 2025 को 07:35 पी एम
- अमावस्या तिथि समाप्त - जनवरी 29, 2025 को 06:05 पी एम
- ब्रह्म मुहूर्त- 05:25 ए एम से 06:18 ए एम
- प्रातः सन्ध्या- 05:51 ए एम से 07:11 ए एम
- अभिजित मुहूर्त- कोई नहीं
- विजय मुहूर्त- 02:22 पी एम से 03:05 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त- 05:55 पी एम से 06:22 पी एम
- सायाह्न सन्ध्या- 05:58 पी एम से 07:17 पी एम
- अमृत काल- 09:19 पी एम से 10:51 पी एम
- निशिता मुहूर्त- 00:08 ए एम, जनवरी 30 से 01:01 ए एम, जनवरी 30
शुभ चौघड़िया मुहूर्त
- लाभ - उन्नति 07:11 से 08:32
- अमृत - सर्वोत्तम 08:32 से 09:53
- शुभ - उत्तम 11:14 से 12:34
- चर - सामान्य 15:16 से 16:37
- लाभ - उन्नति 16:37 से 17:58
- शुभ - उत्तम 19:37 से 21:16
- अमृत - सर्वोत्तम 21:16 से 22:55
- चर - सामान्य 22:55 से 00:34, जनवरी 30
क्या दान करें: मौनी अमावस्या के दिन जरूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र, तिल और चावल का दान करें। मान्यता है कि ऐसा करने से पितर खुश होते हैं। इस दिन गंगा नदी या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर यह संभव न हो, तो घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें। इस दिन गाय, कुत्ते और कौवे को भोजन खिलाना शुभ माना जाता है। यह पितरों को प्रसन्न करता है।
उपाय- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन घर के बाहर दक्षिण दिशा में तेल का दीया जलाएं। यह दिशा पितरों की मानी जाती है। मान्यता है कि पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाने से पितरों की कृपा मिलती है।
पूजा-विधि: इस दिन सुबह ब्रह्ममुहुर्त में जागें और देवी-देवता का ध्यान करें। इसके बाद गंगा, सरयू सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करें और सूर्यदेव अर्घ्य दें। इसके बाद काष्ठ के आसन पर नया वस्त्र डालें। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी प्रतिमा स्थापित करना चाहिए। इसके बाद फूल, फल आदि चढ़ाकर षोडोपचार विधि से पूजन करें। महिलाएं मां लक्ष्मी को श्रृंगार का समान चढ़ाएं। पूजन के बाद देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें। मिष्ठान या मेवे का भोग लगाएं। साथ ही जरूरतमंदों में अन्न, कपड़ा आदि दान तथा मौन रहने का विशेष महत्व शास्त्रों में वर्णित है। अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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