मकर संक्रांति पर इन चीजों का करें दान, इस मंत्र का करें जप
- सनातन धर्म में मकर संक्रांति का बहुत महत्व है। इस दिन स्नान दान पूजा-पाठ करने से सुख-शान्ति व समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस वर्ष मकर संक्रांति मंगलवार को मनाई जाएगी। इसी के साथ एक माह से बंद हुए मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे।
सनातन धर्म में मकर संक्रांति का बहुत महत्व है। इस दिन स्नान दान पूजा-पाठ करने से सुख-शान्ति व समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस वर्ष मकर संक्रांति मंगलवार को मनाई जाएगी। इसी के साथ एक माह से बंद हुए मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे। सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में जाने को संक्रान्ति कहते हैं। वैसे तो संक्रान्ति प्रत्येक माह में पड़ती है। सभी संक्रान्ति महत्वपूर्ण होती है। लेकिन मौसम परिवर्तन की दृष्टि से मकर व कर्क राशि की संक्रान्ति अधिक महत्वपूर्ण होती है। इस दिन सूर्य देव क्रमश: उत्तरायण व दक्षिणायन की यात्रा शुरू करते हैं। मकर संक्राति 14 जनवरी को पड़ रही है। मकर राशि में जाने के बाद धीरे-धीरे सूर्यदेव की रश्मियां तेज होंगी और गर्मी का मौसम बढ़ता जाएगा। इसके साथ एक माह से रुके सारे मांगलिक कार्य फिर शुरू हो जाएंगे।
आचार्य पं. कृपाशंकर पान्डेय ने बताया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर चक्कर लगाते हुए सूर्य की भी परिक्रमा करती है। जिससे रात-दिन व ऋतु परिवर्तन होता है। ज्योषित शास्त्रियों ने पृथ्वी के परिक्रमा मार्ग को बारह भागों में बाट दिया गया है। जो मेष से मीन बारह राशियाँ कही जाती हैं। जब सूर्य एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं। उसी समय को संक्रान्ति कहते हैं। जब सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर राशि की संक्रान्ति होती है। और सूर्यदेव की उत्तरायण यात्रा शुरू हो जाती है।
आचार्य पं. गौतम मुनि चतुर्वेदी का कहना है कि गणेश आपा पंचांग के अनुसार इस वर्ष 14 जनवरी मंगलवार को सुबह 8 बजकर 47 पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ मकर राशि की संक्रान्ति पुण्यकाल शुरू होकर सूर्यास्त तक चलेगा।
मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। स्नानादि के बाद सूर्यदेव को जल अर्घ्य दें और उनकी पूजा करें। मकर संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को खिचड़ी, मूंगफली, दही, चूड़ा, तिल के लड्डू, गर्म कपड़े और अपने क्षमतानुसार धन का दान करें। सूर्यदेव की कृपा पाने के लिए इस दिन ‘ऊँ सूर्याय नमः मंत्र का जाप करें
सनातन धर्म में मकर संक्रांति का बहुत महत्व है। इस दिन स्नान दान पूजा-पाठ करने से सुख-शान्ति व समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस वर्ष मकर संक्रांति मंगलवार को मनाई जाएगी। इसी के साथ एक माह से बंद हुए मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे। सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में जाने को संक्रान्ति कहते हैं। वैसे तो संक्रान्ति प्रत्येक माह में पड़ती है। सभी संक्रान्ति महत्वपूर्ण होती है। लेकिन मौसम परिवर्तन की दृष्टि से मकर व कर्क राशि की संक्रान्ति अधिक महत्वपूर्ण होती है। इस दिन सूर्य देव क्रमश: उत्तरायण व दक्षिणायन की यात्रा शुरू करते हैं। मकर संक्राति 14 जनवरी को पड़ रही है। मकर राशि में जाने के बाद धीरे-धीरे सूर्यदेव की रश्मियां तेज होंगी और गर्मी का मौसम बढ़ता जाएगा। इसके साथ एक माह से रुके सारे मांगलिक कार्य फिर शुरू हो जाएंगे।
आचार्य पं. कृपाशंकर पान्डेय ने बताया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर चक्कर लगाते हुए सूर्य की भी परिक्रमा करती है। जिससे रात-दिन व ऋतु परिवर्तन होता है। ज्योषित शास्त्रियों ने पृथ्वी के परिक्रमा मार्ग को बारह भागों में बाट दिया गया है। जो मेष से मीन बारह राशियाँ कही जाती हैं। जब सूर्य एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं। उसी समय को संक्रान्ति कहते हैं। जब सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर राशि की संक्रान्ति होती है। और सूर्यदेव की उत्तरायण यात्रा शुरू हो जाती है।
आचार्य पं. गौतम मुनि चतुर्वेदी का कहना है कि गणेश आपा पंचांग के अनुसार इस वर्ष 14 जनवरी मंगलवार को सुबह 8 बजकर 47 पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ मकर राशि की संक्रान्ति पुण्यकाल शुरू होकर सूर्यास्त तक चलेगा।
मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। स्नानादि के बाद सूर्यदेव को जल अर्घ्य दें और उनकी पूजा करें। मकर संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को खिचड़ी, मूंगफली, दही, चूड़ा, तिल के लड्डू, गर्म कपड़े और अपने क्षमतानुसार धन का दान करें। सूर्यदेव की कृपा पाने के लिए इस दिन ‘ऊँ सूर्याय नमः मंत्र का जाप करें|#+|।
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