यहां महाबली भीम ने किया था पिंडदान, आज भी मौजूद हैं भीम के घुटने के निशान
Mahabali Bhim भीमगया वेदी पर पिंडदान के बाद घेरे के अंदर मौजूद भीम के घुटने के निशान के दर्शन-पूजन भी किए। कहा जाता है कि पांडु पुत्र भीम ने अपने पिता की मुक्ति के लिए इसी स्थान पर पिंडदान किया था।
पितृपक्ष में पूर्वजों के लिए त्रिपाक्षिक गया श्राद्ध कर रहे पिंडदानी तिथि की वेदी पर जाकर-जाकर पिंडदान कर रहे हैं। इसी क्रम में पितृपक्ष के 13वें दिन रविवार को तीर्थयात्रियों ने वहां पहुंचे जहां महाबली भीम ने पिंडदान किया। भीम गया वेदी पर पिंडदान कर पितरों के मोक्ष की कामना की। मां मंगलागौरी के रास्ते में स्थित भीमगया वेदी पर पिंडदान के बाद घेरे के अंदर मौजूद भीम के घुटने के निशान के दर्शन-पूजन भी किए। कहा जाता है कि पांडु पुत्र भीम ने अपने पिता की मुक्ति के लिए इसी स्थान पर पिंडदान किया था।
पिंडदान के बाद परिसर में ही शिला पर बायां घुटने के निशान (गड्ढे) में पिंड अर्पित किए। पिंडदान करते समय बायां घुटन मोड़कर बैठे थे। इस कारण एक शिला पर घुटने जैसा निशान है। अब इस स्थान को भीम गया वेदी के नाम पर जाना जाता है। भीमगया में पिंडदान के बाद पिंडदानियों ने भस्मकूट पर्वत पर स्थित मंदिर के में मां मंगला के दर्शन-पूजन किए।
गोप्रचार और गदालोल वेदियों पर पिंड अर्पित पूर्वजों के मोक्ष की भस्मकूट पहाड़ी पर स्थित भीमगया वेदी पर पिंडदान के बाद त्रिपाक्षिक गयाश्राद्ध करने वालों का जत्था मां मंगलागौरी मंदिर के बायीं ओर स्थित गोप्रचार वेदी पर पहुंचा। यहां भी पिंड अर्पित कर पूर्वजों के मोक्ष की कामना की। गो प्रचार वेदी पर गोखुर के बने निशान पर सावधानी से तीर्थयात्रियों ने पिंड अर्पित किया। भीमगया और गोप्रचार वेदियों पर जगह कम रहने के कारण पिंडदानियों ने मां मंगलागौरी मंदिर की छत और परिसर में बैठकर पिंडदान किया। पाठ वाले मंडप व धर्मशाला सहित जहां जगह मिली तीर्थयात्री वहीं बैठकर पितरों को याद किया। भीमगया वेदी पर पिंडदान के बाद परिसर में ही शिला पर बायां घुटने के निशान (गड्ढे) में पिंड अर्पित किए। गो प्रचार वेदी पर गोखुर के बने निशान पर सावधानी से तीर्थयात्रियों ने पिंड अर्पित किया।
पिंडदानी मनाएंगे पितरों की दीपावली
पितृपक्ष के 14वें दिन (आश्विन कृष्णपक्ष त्रयोदशी) सोमवार को त्रिपाक्षिक पिंडदान कर रहे तीर्थयात्रियों की भीड़ फल्गु नदी में उमड़ेगी। शाम में तीर्थयात्री पितरों के लिए दीपावली मनाएंगे। श्री विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल और सचिव व गयापाल गजाधर लाल पाठक ने कहा कि त्रिपाक्षिक गयाश्राद्ध करे पिंडदानी अपने पूर्वजों की याद में सोमवार की शाम फल्गु घाटों पर दीप जलाएंगे। इस तिथि को दिवगंत हुए पितरों के लिए पिंडदान करने का विशेष महत्व है। जिनके पितर इस तिथि को दिवगंत नहीं हुए वे केवल तर्पण, देवदर्शन और दीप दान करेंगे।
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