Hindi Newsधर्म न्यूज़Maha Shivaratri 2025 Jalabhishek time and benefit of Rudrabhishek on mahashivratri

Maha Shivaratri 2025 Jalabhishek: महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक का टाइम और रुद्राभिषेक कराने से क्या मिलता है लाभ

  • कहते हैं कि भगवान शिव रुद्राभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। आपको बता दें कि रुद्राभिषेक करने से सभी ग्रहों के कारण आने वाली समस्याएं पहले से नष्ट हो जाती हैं।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तानThu, 20 Feb 2025 10:55 AM
share Share
Follow Us on
Maha Shivaratri 2025 Jalabhishek: महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक का टाइम और रुद्राभिषेक कराने से क्या मिलता है लाभ

फाल्गुन मास की चतुर्थी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी बुधवार को मनाया जाएगा।आपको बता दें कि चतुर्दशी तिथि का मान 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 8 बजे से 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। इस दिन जलाभिषेक के साथ दुग्धाभिषेक, रुद्राभिषेक व पूजन समस्त भक्तों के लिए अत्यंत शुभ फल देने व कल्याण करने वाला होगा। कहते हैं कि भगवान शिव रुद्राभिषेक से प्रसन्न होते हैं। आपको बता दें कि रुद्राभिषेक करने से सभी ग्रहों के कारण आने वाली समस्याएं पहले से नष्ट हो जाती हैं। ग्रहों के कारण अगर आपर बड़ी विपत्ति आ ग ईहो और आप बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, तो आप रुद्राभिषेक कर अपनी मनोकामना भगवान शिव से मांग सकते हैं। रुद्राभिषेक किस समय कराएं, इसके लिए समय के बारे में किसी योग्य पंडित से जान लेना चाहिए। दरअसल रुद्राभिषेक के लिए भगवान शिव का वास देखा जाता है। तभी रुद्राभिषेक कराने का फल मिलता है।

ये भी पढ़ें:महाशिवरात्रि के व्रत का पारण कब करना चाहिए?
ये भी पढ़ें:शिवलिंग के सामने क्यों बजाई जाती है तीन बार ताली?

महाशिवरात्रि पर किस समय समय कर सकेंगे जलाभिषेक, भद्रा का भी है साया
आपको बता दें कि फरवरी यानी महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 03 मिनट से रात 10 बजकर 17 मिनट तक भद्रा का साया है। सनातन शास्त्रों के अनुसार, भद्रा के दौरान कुछ कार्य वर्जित मने गएहैं, लेकिन भगवान शिव की पूजा आदि में भद्रा नहीं देखी जाती। आपको बता दें कि इस दिन जलाभिषेक 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 8 बजे से श्रवण नक्षत्र के साथ शुरु होकर सायंकाल 5 बजकर 23 से धनिष्ठा नक्षत्र लगने के बाद 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक सुबह 11 बजकर 8 मिनट से शत्रुनाशक परिघ योग व शुभ की चौघड़िया में कर सकते हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार महाशिवरात्रि निशीथकालीन पर्व है। कहा जाता है कि इस दिन प्रदोषकाल में भी भगवान शिव का पूजन करना चाहिए।

इस आलेख में दी गईजानकारियों का हम दावा नहीं करते कि वो सत्य और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की राय जरूर लें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें