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माघ पूर्णिमा 12 फरवरी को, जानें स्नान-दान का मुहूर्त और पूजन विधि

  • वर्ष भर में पड़ने वाली बारह पूर्णिमाओं में माघी पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। यह दिन भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी को समर्पित माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।

Yogesh Joshi हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 10 Feb 2025 10:05 AM
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माघ पूर्णिमा 12 फरवरी को, जानें स्नान-दान का मुहूर्त और पूजन विधि

Magh Purnima : वर्ष भर में पड़ने वाली बारह पूर्णिमाओं में माघी पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। यह दिन भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी को समर्पित माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इस वर्ष माघी पूर्णिमा स्नान 12 फरवरी को किया जाएगा। ज्योतिष अशोक वार्ष्णेय ने बताया कि जब सूर्य मकर राशि में और गुरु वृषभ राशि में होते हैं, तब अमृत स्नान का योग बनता है। इस बार 12 फरवरी को सूर्य कुम्भ राशि में होंगे, इसलिए इस बार केवल सामान्य स्नान होगा। स्नान का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:19 से 6:12 बजे तक है। अमृत काल शाम 5:55 से 7:35 बजे तक रहेगा।

माघ मास की पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया गया है। माघी पूर्णिमा पर स्नान, दान, जप और तर्पण का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में सूर्योदय से पूर्व स्नान करने से पापों का शमन होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु व हनुमान जी की उपासना के साथ चंद्रमा का व्रत भी करना चाहिए। दान-पुण्य व गरीबों को भोजन कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है। वस्त्र दान भी महत्वपूर्ण माना गया है।

पूजा-विधि:

इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। आप नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान भी कर सकते हैं। नहाते समय सभी पावन नदियों का ध्यान कर लें।

नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।

पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है।

इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें।

भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।

इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें।

पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।

चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें।

चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है।

इस दिन जरूरतमंद लोगों की मदद करें।

अगर आपके घर के आसपास गाय है तो गाय को भोजन जरूर कराएं। गाय को भोजन कराने से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।

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