ज्योतिष और प्लांड बच्चे
- मुझे हमेशा लगता है कि उम्मीदें दुःख का कारण बनती हैं और यही से इस लेख को शुरू करता हूं। इस विषय पर उतना ज्यादा कभी लिखा नहीं गया, लेकिन जो लोग ज्योतिष से बहुत ज्यादा जुड़े होते हैं अक्सर इस विषय के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी रखते हैं…
- विपुल जोशी, ज्योतिषाचार्य
मुझे हमेशा लगता है कि उम्मीदें दुःख का कारण बनती हैं और यही से इस लेख को शुरू करता हूं। इस विषय पर उतना ज्यादा कभी लिखा नहीं गया, लेकिन जो लोग ज्योतिष से बहुत ज्यादा जुड़े होते हैं अक्सर इस विषय के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी रखते हैं। एलिट समाज में बच्चों के जन्म लेते समय इन चीजों का काफी ध्यान रखा जाता है कि उस समय ग्रहों की क्या स्थिति है। यह बहुत ही रोचक विषय है, परंतु निजी तौर पर ये भी लगता है कि इसमें पड़ने वाला व्यक्ति अंत में ठगा हुआ ही महसूस करता है।
सूर्य एक महीने तक एक राशि में रहते हैं। गुरु शनि एक वर्ष से थोड़ा अधिक एक राशि में रहते हैं। इन तीन ग्रहों की स्थिति कुंडली में अगर अच्छी है तो कहा जा सकता है कि कुंडली अच्छी है। कई लोग डॉक्टरी सलाह के साथ ज्योतिषीय सलाह भी लेते हैं, ताकि होने वाले बच्चे के ग्रह अच्छी स्थिति में हों और साथ ही डिलीवरी डेट में बदलाव भी करवाते हैं, लेकिन इसके अलावा भी बहुत से पहलू होते हैं, जिनके आधार पर ग्रहों के फल प्रभावित होते हैं।
एक पौराणिक कथा बड़ी प्रचलित है कि जब रावण की संतान होने वाली थी उस वक्त सारे ग्रह रावण की कैद में थे तो रावण ने सभी ग्रहों से कहा कि आप सभी अपनी-अपनी उच्च राशि में चले जाओ या स्वग्रही हो जाओ। सभी ग्रह मजबूर थे तो वे उच्च में और स्वराशि में चले गए, लेकिन उन्होंने न्याय के देवता शनि देव से प्रार्थना की और कहा कि जब रावण इतना ज्यादा दुष्ट है, उसने हमें इतना प्रताड़ित किया है तो उसकी संतान के अगर सभी ग्रह बलवान होंगे तो वो हमें कितना परेशान करेगा। ये सुनकर शनि देव ने ग्यारवे घर में तुला राशि (जो उनकी उच्च राशि है) में रहते हुए अपना एक पर आगे निकाल दिया, जब रावण ने मेघनाथ की चलित कुंडली बनाई, तभी शनि बारहवें घर में वृश्चिक राशि में पहुंच गए और बारहवें घर में वृश्चिक राशि में बैठे शनि अकाल मृत्यु का कारण भी बनते हैं। ये देखकर रावण ने शनि ग्रह की टांग खींच दी। तभी से शनि की चाल हल्की हो गई और कहते भी हैं ‘शनै:-शनै: चलते हैं शनि’ और बाद में यही योग मेघनाथ की मृत्यु का कारण भी बना।
एक और बात जो ध्यान देने वाली है, वो ये है कि जन्मकुंडली के ग्रहों को व्यक्ति कुछ हद तक नियंत्रित कर सकता है, लेकिन नवमांश के ग्रहों को नियंत्रित कर पाना लगभग नामुमकिन है और ये हम सभी जानते हैं कि फलादेश में नवमांश कुंडली कितनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। साथ ही हर 13-14 मिनट में नवमांश कुंडली बदल भी जाती है। जब मैं इस विषय पर शोध कर रहा था तो अंत में एक निष्कर्ष पर पहुंचा और वो यह था कि कोई लाख करे चतुराई कर्म का लेख मिटे ना रे भाई।
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