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खरमास आज से, जानें खरमास में पूजा की विधि और नियम

  • Kharmas 2024 Pooja : सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास का महीना प्रारंभ हो जाता है। खरमास के दौरान दान, पुण्य, जप और भगवान का ध्यान लगाने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 15 Dec 2024 01:05 PM
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Kharmas: एक साल में दो बार खरमास आता है। दृक पंचाग के अनुसार, रविवार, 15 दिसंबर 2024 की रात्रि 10 बजकर 19 मिनट पर धनु राशि में सूर्य गोचर से खरमास शुरू हो जाएगा। जो 14 जनवरी दिन मंगलवार 2025 को समाप्त होगा। सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास का महीना प्रारंभ हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास माह में किसी भी तरह का कोई भी मांगलिक कार्य विवाह, गृह प्रवेश और यज्ञोपवीत आदि संस्कार नहीं किया जाता है।

खरमास कैसे लगता है: ज्योतिषाचार्य आचार्य पं. कृपाशंकर पान्डेय के अनुसार, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य धनु और मीन राशि में प्रवेश करते है। तब वर्ष में दो बार खरमास लगता है। आज रविवार की रात सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसी के साथ खरमास शुरू हो जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार खरमास के महीने में शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है। अब मकर संक्रांति के बाद ही शहनाई फिर से बजेगी।

खरमास में क्यों नहीं होते शुभ काम: खरमास के दौरान सूर्य का प्रकाश और स्थिति दोनों ही कमजोर हो जाती है, जिस वजह से शुभ प्रभावों में कमी आ जाती है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ऊर्जा, प्रकाश, आत्मा, शक्ति और सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। सूर्य हर एक राशि में एक महीने तक रहते हैं। जब ये धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दौरान इनकी ऊर्जा कमजोर हो जाती है। धनु और मीन राशि के स्वामी बृहस्पति होते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, सूर्य जब देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दौरान वे अपने गुरु की सेवा में रहते हैं। ऐसे में सूर्य और बृहस्पति का प्रभाव कम हो जाने से ग्रहों की ऊर्जा में कमी आने के कारण कार्यों में स्थायित्व की कमी आ जाती है। शुभ और मांगलिक कार्यों में सूर्य और गुरु का बली होना जरूरी होता है। इसी वजह से खरमास के दौरान मांगलिक कार्य फलित नहीं होते इसलिए मांगलिक कार्य वर्जित किए गए हैं।

खरमास में पूजा की विधि और नियम: खरमास के महीने में जहां मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं वहीं पूजा-पाठ कीर्तन, तीर्थ यात्रा, मंत्र जाप, भागवत गीता, रामायण पाठ और विष्णु भगवान की पूजा करना बहुत शुभ माना गया है। खरमास के दौरान दान, पुण्य, जप और भगवान का ध्यान लगाने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस मास में भगवान शिव की आराधना करने से कष्टों का निवारण होता है। खरमास में सूर्यदेव को अर्घ्य देना बहुत फलदाई और शुभ होता है। खरमास में सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर तांबे के लोटे में जल, रोली या लाल चंदन और लाल पुष्प डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य देना अच्छा माना जाता है। जब खरमास का महीना चल रहा हो तो इस दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, सगाई, भूमि पूजन और कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए। खरमास के दौरान तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। खरमास के दौरान किसी के साथ वाद-विवाद से बचना चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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