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कार्तिक मास में स्नान का मिलता है अनंत फल, जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा का होता है संचार

  • धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कार्तिक मास में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना अत्यंत शुभ है। विशेषकर गंगा, यमुना या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान का महत्व काफी अधिक है। लेकिन, यदि नदी तक नहीं पहुंचा जा सकता हो, तो घर पर ही स्नान कर भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 17 Oct 2024 09:15 PM
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धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कार्तिक मास में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना अत्यंत शुभ है। विशेषकर गंगा, यमुना या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान का महत्व काफी अधिक है। लेकिन, यदि नदी तक नहीं पहुंचा जा सकता हो, तो घर पर ही स्नान कर भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए। कार्तिक मास में स्नान करने से जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य और मानसिक शांति प्राप्त होती है। शास्त्रों में कहा गया है कार्तिक स्नान से पूर्व जन्मों के पाप समाप्त हो जाते हैं। अनंत पुण्य मिलता है। इस मास में किए गए धार्मिक अनुष्ठान, स्नान, दान और व्रत से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।

हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्त्व है। यह मास 18 अक्टूबर शुक्रवार से शुरू हो रहा है। इस दौरान स्नान, दान, व्रत और पूजा-अर्चना का विशेष महत्त्व होता है। इस पवित्र मास में गंगा स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति को अनंत फल की प्राप्ति होती है। इस महीने के दौरान किए गए धार्मिक कार्यों का पुण्य कई गुणा बढ़ जाता है। पंडित सूर्यमणि पांडेय ने बताया कि कार्तिक मास को भगवान विष्णु और भगवान शिव की आराधना का विशेष समय माना गया है। विशेषकर कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान का महत्त्व अत्यधिक है। शास्त्रों के अनुसार इस मास में स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष मिलती है।

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