181 साल बाद रक्षाबंधन पर 7 शुभ योग, दोपहर 1:40 बजे से बांधे राखी
- Kab Tak Rakhi Bandhegi, Raksha Bandhan 2024: सालों बाद रक्षाबंधन पर 7 शुभ योग और सावन आखिरी सोमवार पड़ने के कारण इस दिन का महत्व काफी बढ़ गया है। सुबह से ही भद्रा लगने से राखी बांधने के टाइम को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है।
Kab Tak Rakhi Bandhegi, Raksha Bandhan 2024 : भाई-बहन के प्रेम का पर्व रक्षाबंधन 19 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। ज्योतिषों के अनुसार, सालों बाद इस रक्षाबंधन पर 7 शुभ योग का संयोग बन रहा है। 19 अगस्त को रवि योग, शश राजयोग, शोभन योग, बुधादित्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शुक्रादित्य योग, और लक्ष्मी नारायण योग बनने जा रहे हैं। इसके साथ ही सावन आखिरी सोमवार और सावन की पूर्णिमा का भी संयोग रहेगा। शनि अपनी स्वराशि कुंभ में रहेंगे तो सूर्य अपनी स्वराशि सिंह में रहेंगे। रक्षाबंधन जितना विशेष है, उतना ही विशेष है रक्षाबंधन का समय व मुहूर्त भी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भद्रा काल में राखी बांधना निषेध है। इस काल में रक्षाबंधन को अशुभ और अकल्याणकारी बताया गया है। पंचांग के अनुसार, 19 अगस्त को दोहपर 1.32 बजे तक भद्राकाल है। इसलिए सोमवार को 1.32 बजे के बाद ही रक्षा बंधन मनाया जाएगा।
कब तक बंधेगी राखी?
रक्षाबंधन का पर्व दोपहर बाद शुरू होकर शुभ मुहूर्त रात 12.28 बजे तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पाण्डेय ने बताया कि श्रावण शुक्ल पूर्णिमा 19 अगस्त दिन सोमवार को रात्रि 12.28 बजे तक है। रविवार की रात 2.21 बजे से सोमवार को दिन 1.25 बजे तक भद्रा है। अतः भद्रा के बाद ही रक्षांबधन का पुनीत पर्व मनाया जायेगा, क्यों कि भद्रा काल में रक्षाबन्धन का पुनीत पर्व वर्जित है। जैसे …भद्रायाम् द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा भद्रा में श्रावणी (उपाकर्म रक्षाबन्धन) व होलिका दहन नहीं होता, चाहे वह कहीं की भी भद्रा हो। अतः सोमवार की दोपहर 1.25 बजे के बाद ही रक्षाबन्धन का पुनीत पर्व मनाया जाना शुभ है।
क्यों नहीं बांधते भद्रा में राखी?
पंडित रमेशचंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, यद्यपी सोमवार की भद्रा को कल्याणी बताया गया है, तथापि शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा में पूर्वाद्ध होता है और पूर्वाद्ध की भद्रा दिन में अशुभ होती है। पंडित भरत पांडे बताते हैं की भद्रा सूर्यदेव की पुत्री एवं शनि देव की बहन है। भद्रा का भी स्वभाव शनिदेव की तरह रहने के कारण भद्राकाल में मंगल एवं पुण्यदायक कार्य की विधि निषेध है। भद्रा समाप्त होने के उपरांत ही विप्रजन अपने यजमानों को संपूर्ण कल्याण की कामना से रक्षा सूत्र बांधेंगे।
रक्षा बंधन 2024 उपाय
इस रक्षा बंधन पर श्रवण नक्षत्र और शोभन योग का अति शुभ संयोग बन रहा है। जो इस दिन को विशेष बनाता हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन शिव को जर्लापण जरुर करें। सोमवार का दिन और श्रवण नक्षत्र के योग से सर्वाद्धसिद्धी योग का भी निर्माण हो रहा है। बहनों को चाहिए कि वह भाई को रक्षा बांधते समय भगवान श्री गणेश का ध्यान कर उनसे मंगल की कामना करें।
राखी बांधते समय पढ़ें ये मंत्र
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि श्रावणी ( रक्षाबंधन ) का त्योहार सनातन धर्मियों के लिए वर्ष का प्रथम त्योहार माना गया है। इस दिन कुल पुरोहित अपने यजमान को तथा बहनें अपने भाई को रक्षा बांध व तिलक लगाकर चिरंजीवी व सर्वत्र विजयी होने की कामना करती हैं। रक्षा बांधने का एक मन्त्र सर्व प्रचलित है...येन बद्धो बली राजा दान वेंद्रो महा बल: तेन त्वां प्रति बद्धनामि रक्षे माचल माचल। इस मन्त्र से प्राचीन काल में द्रोपदी ने श्रीकृष्ण को व देव गुरु वृहस्पति ने इन्द्र को रक्षा बांधी थी। इस दिन श्रावणी का उपाकर्म ब्राह्मणों द्वारा किया जाता है। इसमें वेद पाठी ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद के मन्त्रों द्वारा यज्ञोपवित की शुद्धि व प्रतिष्ठा करते हैं। इससे वह यज्ञोपवीत पूरे वर्ष भर तेज व ज्ञान प्रदान करता है।
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