जितिया व्रत में किन नियमों का पालन करना होता है जरूरी? जानें
- Jivitputrika Vrat Rules: जितिया व्रत में सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व है। इस पर्व में सूर्यदेव को अर्घ्य देने की परंपरा है। इसके अलावा व्रत में तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। जानें जितिया व्रत के नियम-
Jitiya Vrat Niyam 2024: इस साल जितिया व्रत 25 सितंबर 2025 को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में जितिया व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत में भगवान जीमूतवाहन की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। यह व्रत मख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में माताएं अपने संतान की लंबी आयु व सलामती के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत को जिउतिया और जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यूं तो हर व्रत पूरे विधि-विधान व नियमपूर्वक किया जाता है, लेकिन जितिया व्रत में कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। इस व्रत को कठिन व्रतों में से एक माना गया है। अगर आप भी इस साल जितिया व्रत रखने जा रही हैं, तो जान लें कुछ प्रमुख नियम-
1. मान्यता है कि जितिया व्रत को सबसे पहले सास रखती है, फिर बहू इस परंपरा को पूरे विधि-विधान व नियम से आगे बढ़ाती है। कहा जाता है कि अगर जितिया एक बार रखने के बाद इसे बीच में छोड़ा नहीं जाता है।
2. जितिया व्रत तीन दिनों तक चलता है। इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। व्रत के नियमानुसार, नहाय-खाय वाले दिन व्रती महिलाएं स्नान करने के बाद सात्विक भोजन दिन में सिर्फ एक बार ही करती हैं।
3. नहाय-खाय के अगले दिन जितिया व्रत वाले दिन माताएं अपनी संतान की खुशहाली के लिए पूरे दिन व रात निर्जला रहती हैं। इस व्रत में व्रती महिलाएं 36 घंटे बिना अन्न-जल ग्रहण किए रखती हैं। इसलिए इसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है।
3. जितिया व्रत के दिन वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए। किसी को अपशब्द नहीं कहना चाहिए। मान्यता है कि इस व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
4. जितिया व्रत का पारण शुभ मुहूर्त में तीसरे दिन किया जाता है। सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद चावल, मरुवा की रोटी, तोरई, रागी और नोनी का साग ग्रहण करके व्रत पारण की परंपरा है।
5. जितिया व्रत में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।