मिथिला पंचांग के अनुसार 24 को तो काशी पंचांग के अनुसार 25 सितंबर को रखा जाएगा जीवित्पुत्रिका व्रत
- संतान की दीर्घायु, सुखी और निरोगी जीवन के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत, ज्यूतिया या जीमूतवाहन व्रत रखा जाता है। यह व्रत हर वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। मिथिला पंचांग को मानने वाले मैथिल ब्राह्मण लोग 23 को नहाए खाए करेंगे अन्य सभी 24 सितंबर को करेंगे।
संतान की दीर्घायु, सुखी और निरोगी जीवन के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत, ज्यूतिया या जीमूतवाहन व्रत रखा जाता है। यह व्रत हर वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। संतान के दीर्घायु होने की कामना के लिए अधिकांश महिलाएं बुधवार को जीवित्पुत्रिका व्रत करेंगी। हालांकि कुछ जगहों पर महिलाएं नहाय-खास सोमवार को और व्रत मंगलवार को करेंगी। व्रत के एक दिन पहले 24 सितंबर मंगलवार को नहाय-खाय होगा। महिलाएं इस व्रत में 24 घंटे तक निर्जला व निराहार रहकर अपनी संतान की मंगल कामना करती हैं। इस बार सप्तमी का प्रवेश 24 सितंबर मंगलवार शाम 5:57 मिनट तक रहेगा। इसके बाद 5:58 से अष्टमी का प्रवेश हो जाएगा। इस बार ओठघन नहीं है। काशी पंचांग के अनुसार बुधवार 25 सितंबर को शाम 4:56 मिनट तक अष्टमी है। उदया तिथि के अनुसार पारण 26 सितंबर गुरुवार को व्रती महिलाएं करेंगी। उन्होंने बताया कि सप्तमी मिला हुआ अष्टमी नहीं करना चाहिए। जिस दिन उदया तिथि का अष्टमी हो उसी दिन यह व्रत करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कृतसार निर्णय सिंधु जो हमारे शास्त्रों का प्रमुख ग्रंथ है उसी में यह निर्णय है कि सप्तमी मिला हुआ अष्टमी नहीं करना चाहिए। जिस दिन शुद्ध उदया तिथि की अष्टमी हो उसी दिन इस व्रत को करें। जीवित्पुत्रिका व्रत में महिलाएं फल, पकवान, मिठाई से डलिया भरेंगी।
वहीं जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने कहा कि मिथिला पंचांग के अनुसार नहाय-खाय सोमवार 23 सितंबर को होगा। 24 सितंबर मंगलवार के दिन संध्या 6:06 तक सप्तमी तिथि है। मिथिला पंचांग के मानने वालों को सप्तमी मिला हुआ ही अष्टमी करना पड़ेगा। 24 सितंबर मंगलवार को संध्या 6:07 से अष्टमी का प्रवेश होगा जो बुधवार 25 सितंबर शाम 5:05 मिनट तक अष्टमी रहेगा। उसके बाद महिलाएं पारण कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि काशी पंचांग और मिथिला पंचांग में तालमेल नहीं होने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। हालांकि महिलाओं को उदया तिथि के अनुसार 25 सितंबर बुधवार को व्रत करें। उन्होंने कहा कि मिथिला पंचांग को मानने वाले मैथिल ब्राह्मण लोग 23 को नहाए खाए करेंगे अन्य सभी 24 सितंबर को करेंगे। दूसरी ओर बूढ़ानाथ मंदिर के पंडित सुनील झा का दावा है कि नहाय-खाय 23 सितंबर सोमवार को है। ओठगन तीन बजे सुबह कर लें। 24 सितंबर को व्रत करें और 25 को शाम 5:05 में पारण होगा। इसके बाद 26 सितंबर को ब्राहाण भोजन कराना चाहिए।
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