जगन्नाथ रथयात्रा का आज दूसरा दिन: आषाढ़ शुक्ल दशमी तक मौसी के यहां रहेंगे प्रभु, जानें कब होगी बहुड़ा यात्रा
- Jagannath Puri Rath Yatra 2024: जब भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन के साथ नगर घूमने के निकलते हैं तो रास्ते में गुंडिचा में अपनी मौसी के यहां भी जाते हैं। जानें गुंडिचा में कब तक रहेंगे प्रभु-
Jagannath Puri Rath Yatra: भगवान जगन्नाथ का रथ 7 जुलाई 2024, रविवार को बलभद्र और बहन सुभद्रा के बाद सिर्फ 5 मीटर ही खींचा गया, क्योंकि सूर्यास्त के बाद रथ आगे नहीं बढ़ते हैं। ऐसे में करीब 53 साल बाद पुरी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा दो दिनों की है। आज 8 जुलाई को मंगला आरती और भोग के बाद सुबह 9 बजे के बाद रथयात्रा दोबारा शुरू होगी। आज रथयात्रा का दूसरा दिन है। इस रथयात्रा की तैयारी अक्षय तृतीया से शुरू हो जाती है।
कब तक भगवान रहेंगे मौसी के यहां- प्रभु सात दिनों तक अपनी मौसी के यहां रहते हैं। आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तिथि तक प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा गुंडिचा मंदिर में अपनी मौसी के यहां रहेंगे फिर दशमी तिथि यानी 16 जुलाई को तीनों रथ पुरी के मुख्य मंदिर आ जाएंगे। भगवान के मुख्य मंदिर लौटने की यात्रा को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।
जानें कैसे रथयात्रा की हुई शुरुआत- शास्त्रों के अनुसार, भगवान जगन्नाथ भगवान विष्णु के अवतार हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ओडिशा में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में देश-विदेश से लाखों भक्त शामिल होते हैं। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ ही उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का रथ भी शामिल होता है। इन तीनों की रथों में सिर्फ लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है।
सोने की झाड़ू से सफाई- रथयात्रा निकलने से पहले तैयार रथों की पूजा की जाती है, उसके बाद सोने की झाड़ू से रथ मंडप और रथ यात्रा के रास्ते को साफ करने की परंपरा है।
रथयात्रा से जुड़ी मान्यता: भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शामिल होने से 100 यज्ञ के बराबर पुण्य फल प्राप्त होने की मान्यता है। कहते हैं कि इस यात्रा में शामिल होने से ग्रहों का अशुभ प्रभाव कम होता है और शुभता बढ़ती है।
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