Diwali Puja 2024: दिवाली के दिन पितरों का पूजन कैसे करें
अलग-अलग जगह पितरों के पूजन की परंपरा अलग-अलग है। इसलिए अपनी परंपरा के अनुसार पितरों का पूजन और उनके नाम का दीपक जलाना चाहिए। वैसे तो हर अमावस्या पर पितरों की पूजा की जाती है, लेकिन कार्तिक अमावस्या बड़ी अमावस्या है,
कार्तिक मास की अमावस्या यानी दीपावली पर महालक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। इस दिन पितरों को भी याद कियाजाता है। इसलिए इस दिन उनके नाम का दीपक जलाकर उनके नाम की पूजा की जाती है। इस दिन लोग पितरों को याद कर उनके लिए वस्त्र आदि निकालकर दान किए जाते हैं। अलग-अलग जगह पितरों के पूजन की परंपरा अलग-अलग है। इसलिए अपनी परंपरा के अनुसार पितरों का पूजन और उनके नाम का दीपक जलाना चाहिए। वैसे तो हर अमावस्या पर पितरों की पूजा की जाती है, लेकिन कार्तिक अमावस्या बड़ी अमावस्या है, इसलिए इस दिन पितरों की विशेष पूजा अर्चना और उनके लिए दान किया जाता है।
कैसे करें पितरों का पूजन
यहां आपको सामान्य विधि बता रहे हैं। इस दिन सुबह सबसे पहले पितरों को खीर का भोग लगाना चाहिए। दिवाली के दिन सुबह पितरों को अग्यारी देकर उसमें पूरी और खीर का भोग लगाया जाता है। कहीं पंचमेल मिठाई का भोग लगाया जाता है। सब जगह अपनी-अपनी परंपराएं हैं। सबसे पहले दक्षिण दिशा में अपने पितरों के स्थल को अच्छे से साफ कर लो। इसके बाद पितरों की पूजा के लिए एक सफेद कपड़ा, उसमें कुछ बताशे, नारियल, मखाने, दक्षिणा रखकर बांधकर उस स्थान पर रख दें। ध्यान रहे कपड़ा सवा मीटर से कम न हो। अब अपने मन ही मन प्रार्थना करें कि आपने हमें जो कुछ दिया है, हम उसके आभारी हैं, हमारे घर पर अपना आशीर्वाद बनाएं और सुख समृद्धि लाएं। इसके बाद घी का दीपक उनके नाम से जलाना चाहिए और दक्षिण दिशा में रख देना चाहिए। इसके बाद अगले दिन किसी पंड़ित को मंदिर में यह कपड़ा समेत सामग्री दान कर देना चाहिए। इस दिन पितरों की पूजा करने से पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है। दऱअसल कार्तिक मास की अमावस्या और पितरों को पूजन करने का बहुत ही अधिक महत्व है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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