होलिका दहन कब होगा? जानें भद्रा व पूर्णिमा का समय
- Holika Dahan Timing : होलिका दहन के समय भद्रा का समय खासतौर पर देखा जाता है। होलिका दहन की परंपरा पुरानी है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। सुबह मुहूर्त देखकर ही होलिका दहन की विधि शुरू व खत्म करनी चाहिए।

Holika Dahan Timing: हर साल पंचांग की मानें तो होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। होलिका दहन के समय भद्रा का समय खासतौर पर देखा जाता है। होलिका दहन की परंपरा पुरानी है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भद्रा को अशुभ माना जाता है और इसकी अवधि में किसी भी शुभ कार्य को करने से बचने की सलाह दी जाती है। इस बार फाल्गुन पूर्णिमा पर भद्रा का साया होने के कारण होलिका दहन का शुभ समय रात के मध्य में रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, भद्रा काल में होलिका दहन अशुभ माना जाता है।
होलिका दहन कब होगा? जानें भद्रा व पूर्णिमा का समय
भद्रा का साया और पूर्णिमा तिथि: ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10 बजकर दो मिनट पर लग जाएगी। इस दिन भद्रा का साया भी रहेगा, जो रात 10 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगा।
पूर्णिमा तिथि का आरंभ- 13 मार्च रात 10:02 बजे
भद्रा समाप्ति- 13 मार्च को रात 10:44 बजे तक। मध्य रात्रि के बाद शुभ मुहूर्त की अवधि 1 घंटा 4 मिनट रहेगी।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: 13 मार्च रात 10:44 बजे के बाद, मध्य रात्रि में केवल 1 घंटा 4 मिनट का समय रहेगा।
विधि- पूजा करने के बाद होलिका की परिक्रमा करें और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें।
ज्योतिषाचार्यों की राय- पंडित पुरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, भद्रा के दौरान होलिका दहन करने से अशुभ फल मिल सकते हैं। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि शुभ मुहूर्त में ही होलिका दहन करें।
कब है रंगों वाली होली: होलिका दहन के अगले दिन रंगों का पर्व होली मनाया जाता है। इस बार होली 14 मार्च शुक्रवार को धूमधाम से मनाई जाएगी।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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