Holika Dahan: कैसे करें होलिका पूजन व दहन, जानें सम्पूर्ण विधि
- Holika Dahan Pooja: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन से पहले पूजन करने का विधान है। होलिका दहन सूर्यास्त के पश्चात प्रदोष के समय, जब पूर्णिमा तिथि व्याप्त हो, करना शुभ माना जाता है। होलिका पूजा व दहन विधिवत करना चाहिए।

Holika Dahan Pooja, Holi 2025 : होलिका दहन को होलिका दीपक और छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन से पहले पूजन करने का विधान है। होलिका दहन सूर्यास्त के पश्चात प्रदोष के समय, जब पूर्णिमा तिथि व्याप्त हो, करना शुभ माना जाता है। भद्रा के समय कभी भी होलिका पूजा और होलिका दहन नहीं करना चाहिए। होलिका पूजा व दहन विधिवत करना चाहिए। जानें, होलिका की पूजा व दहन की विधि-
होलिका दहन मुहूर्त- रात 11:26 से 12:30 पी एम, मार्च 14
अवधि - 01 घण्टा 04 मिनट्स
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - मार्च 13, 2025 को सुबह 10:35 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - मार्च 14, 2025 को दोपहर 12:23 बजे
भद्रा पूँछ - शाम 06:57 से 08:14 पी एम
भद्रा मुख - 08:14 पी एम से 10:22 पी एम
कब तक रहेगी भद्रा: दृक पंचांग के अनुसार, 13 मार्च को रात 11:26 मिनट तक भद्रा रहेगी।
कैसे करें होलिका पूजन व दहन: होलिका के पास दक्षिण दिशा में एक कलश रखकर पंच देवताओं की पूजा कर ॐ होलिकायै नमः मन्त्र पढ़ते हुए होलिका का भी पञ्चोपचार पूजन करके उनका दहन करें।
दहन विधि: होलिका के चारों ओर कच्चे सूत को तीन या सात बार परिक्रमा करते हुए लपेटें। रोली, चावल से तिलक कर घर पर बने मिष्ठान और देसी घी की अठावरी का भोग लगाकर जल अर्पित कर होलिका और भक्त प्रहलाद की जय का उद्घोष करें। पूजन के बाद हाथ में शुद्ध जल का लोटा लेकर परिक्रमा कर अर्घ्य दें। होलिका में आहुति के लिए कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य एवं नई फसल का कुछ भाग प्रयोग करें।
होलिका दहन सामग्री- अक्षत, गंध, गुड़, फूल, माला, रोली, गुलाल, कच्चा सूत, हल्दी, एक लोटे में जल, नारियल, बताशा, गेहूं की बालियां और मूंग आदि।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।