Hartalika Teej 2024 shubh muhurat: आज हरतालिका तीज व्रत, यहां पढ़ें लाभ चौघड़िया मुहूर्त, पूजा विधि और पारण टाइम
hartalika teej 2024 shubh muhurat: भगवान शिव को समर्पित हरतालिका तीज का व्रत आज रखा जा रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव से अपने अखंड सुहाग की कामना करती हैं, यहां पढ़ें पूजा शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और पारण टाइम
Hartalika Teej Vrat Puja timings: भगवान शिव को समर्पित हरतालिका तीज का व्रत आज रखा जा रहा है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव से अपने अखंड सुहाग की कामना करती हैं और पति की लंबी आयु के लिए तीज व्रत रखती हैं। इस व्रत में शिव पार्वती और गणेश जी की पूजा की जाती है। हर साल गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले यह व्रत रखा जाता है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, एमपी, झारखंड में यह व्रत खासा लोकप्रिय है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन माता पार्वती ने शिवजी को पाने के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखा था। कथा में इसका वर्णन भी है कि माता पार्वती ने जब हरतालिका तीज व्रत किया था तो उसम समय हस्त नक्षत्र था, लेकिन इस साल पंचांग गणना के मुताबिक हरतालिका पर रवि और शुक्ल योग के साथ चित्रा नक्षत्र का संयोग बन रहा है।
हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त
ज्योतिर्विद दिवाकर त्रिपाठी के अनुसार तृतीया तिथि का आरंभ 5 सितंबर 2024 दिन बृहस्पतिवार को 10:04 से हो जाएगा जो अगले दिन 6 सितंबर 2024 दिन शुक्रवार को 12:08 तक व्याप्त रहेगा ऐसी स्थिति में उदयकालिक तृतीया तिथि 6 सितंबर को प्राप्त हो रही है। कथा और पूजन प्रदोष काल में होता है। प्रदोष काल यानी जब दिन और रात मिल रहे हों। प्रदोष काल लगभग 05:45 से 6:45 बजे तक रहेगा।
चर चौघड़िया मुहूर्त: सुबह में 05:47 बजे से 07:20 बजे तक
लाभ चौघड़िया मुहूर्त:सुबह में 7:20 बजे से 08:54 बजे तक
अमृत चौघड़िया मुहूर्त:सुबह में 8:54 बजे से 10:27 बजे तक
शुभ मुहूर्त: दोपहर में 12:00 बजे से 01:34 बजे तक
चर-सामान्य मुहूर्त: शाम में 04:40 बजे से 06:13 बजे तक
पारण का श्रेष्ठ एवं शुभ समय उदय कालिक चतुर्थी तिथि 7 सितंबर दिन शनिवार को प्रातः 5 बजे से 7 बजे तक होगा।
हरतालिका तीज पूजन विधि
हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव का बालू रेत और मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग बनाया जाता है। इसके बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उन्हें स्थापित किया जाता है। भगवान शिव के ऊपर फुलेरा सजाया जाता है। यह फूल और पत्तियों का बना होता है। कई जगह बांस की चोकरी में तरह- तरह के फूल रखे जाते हैं।हर जगह अलग-अलग रीति-रिवाज से हरतालिका व्रत का पूजन होता है। भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। उन्हें फल-फूल, बिल्व पत्र, धतूरा, मिठाई, पांच फल अर्पित करते हैं। मां पार्वती को सुहाग का सामान, कई जगह इसे सुहाग पिटारा भी कहा जाता है, पूजा के बाद सुहाग पिटारा सास या किसी बड़े को दिया जाता है। इसके बाद अगले दिन शिवजी की मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग का विसर्जन किया जाता है। प्रदोष काल से पहले-पहले पूजा की तैयारी कर कथा पढ़नी चाहिए। इस दिन हर पहर में भगवान शिव की पूजा की जाती है। रात को जागरण किया जाता है और अगले दिन पूजा करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। नीचे दिए गए लिंक पर आप कथा पढ़ सकते हैं।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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