हरतालिका तीज में भगवान शिव पूजा में फुलेरा क्यों खास है?, पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया है महत्व
- Hartalika Teej हरतालिका तीज व्रत इस साल 6 सितंबर को रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं भगवान शिव की पूजा करती हैं। इस दिन मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग के साथ फुलेरा बनाया जाता है, जिसका बहुत महत्व है।
Hartalika Teej हरतालिका तीज व्रत इस साल 6 सितंबर को रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं भगवान शिव की पूजा करती हैं। इस दिन मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग के साथ फुलेरा बनाया जाता है, जिसका बहुत महत्व है। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुख समृद्धि के लिए माता पार्वती के पार्थिव रूप की पूजा अर्चना करती हैं। सबसे पहले बता दें कि हरतालिका व्रत निराहार रखना चाहिए। लेकिन जो महिलाएं, बीमार हैं, वो एक समय फलाहार कर सकती हैं। हरतालिका व्रत की पूजन करने में बालू की मिट्टी शुद्ध लानी चाहिए और उसका शिवलिंग बनाना चाहिए।
आपको बता दें कि यह फूलों और पत्तियों से बना होता है, जिसे मंडप या फिर जहां पूजा करें वहां लगाना चाहिए। इसमें नीचे तक फूल की माला लटकी होती हैं, तो ऊपर से एक चाकोर फूलों से बंधा होता है। कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने इस व्रत में फुलेरा का महत्व बताया है। इसके दर्शन करने से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि जो नारी किसी कारणवश हरतालिका व्रत का पूजन नहीं करती तो कहीं पर फुलेरा का पूजन करके देख लें और पत्तियां या पुष्प शंकर को समर्पित कर दे तो उसे हरतालिका व्रत का फल मिलता है।
इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि अगर कोई महिला के संतान नहीं है तो वह फुलेरा के दर्शन करने से और प्रार्थना करने से संतान प्राप्ति होती है। अगर दान गऊ दान नहीं कर पाते तो शिवमहापुराण में कहा गया है कि सिर्फ फुलेरा का दर्शन करने से लाभ मिलता है। इसके दर्शन से भगवान शिव गलती क्षमा कर देते हैं। अगर काशी या सोमनाथ नहीं जा सकते हैं, तो सिर्फ फुलेरा के दर्शन से सभी के फल मिल जाते हैं। शंकर भगवान की अर्चना करते हैं, तो सभी फल मिलते हैं।
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