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गंगा दशहरा आज, नोट कर लें पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व, मंत्र और आरती

  • गंगा दशहरा 16 जून को है। इस दिन रवि, सर्वार्थ व अमृत योग का संयोग बन रहा है। इस दिन हस्त नक्षत्र भी है जो इसे और खास बना रहा है। चार शुभ संयोग में गंगा दशहरा पर गंगा पूजन और स्नान से सभी मनोकामनाओं की सिद्धि होगी।

Yogesh Joshi नई दिल्ली, एजेंसी/लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 16 June 2024 08:37 AM
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गंगा दशहरा 16 जून को है। इस दिन रवि, सर्वार्थ व अमृत योग का संयोग बन रहा है। इस दिन हस्त नक्षत्र भी है जो इसे और खास बना रहा है। चार शुभ संयोग में गंगा दशहरा पर गंगा पूजन और स्नान से सभी मनोकामनाओं की सिद्धि होगी। इधर, गंगा दशहर पर विभिन्न गंगा तटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटेगी। दशमी तिथि का प्रवेश शनिवार को देर रात एक बजे हो गया है. जो 16 जून रविवार को रात 2:54 तक रहेगा। उन्होंने बताया कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। यह दिन पापों से मुक्ति और मोक्ष के साथ पितरों को प्रसन्न करने के लिए बेहद खास माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन ही मां गंगा का स्वर्गलोक से पृथ्वीलोक पर आगमन हुआ था। उन्होंने बताया कि मां गंगा ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन हस्त नक्षत्र में स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। मां गंगा को संपूर्ण विश्व में सबसे पवित्र नदी माना जाता है। जब गंगा धरती पर आई, तब यहां की बंजर धरती उपजाऊ हुई और हर क्षेत्र में हरियाली छा गई। तभी से गंगा दशहरा पर्व मनाने की शुरुआत हुई।

गंगा दशहरा पूजा- विधि

गंगा स्नान करें। जो लोग गंगा स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं वो घर में रहकर ही नहाने के पानी में गंगा जल डालकर मां गंगा का ध्यान कर स्नान करें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। इस दिन मां गंगा का अधिक से अधिक ध्यान करें। इस दिन दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। घर में रहकर ही मां गंगा की आरती करें।

मां गंगा मंत्र

त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां ।। गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।। ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।।

गंगा दशहरा का महत्व

इस पावन दिन मां गंगा की पूजा- अर्चना करने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है। मां गंगा की पूजा अर्चना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

मां गंगा आरती

ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता।

जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।

ॐ जय गंगे माता...

चन्द्र-सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता।

शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।

ॐ जय गंगे माता...

पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।

कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।

ॐ जय गंगे माता...

एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता।

यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता।

ॐ जय गंगे माता...

आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।

दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता।

ॐ जय गंगे माता...

ॐ जय गंगे माता...।।

मां गंगा मंत्र

ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः' 

 

 

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