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दिवाली व धनतेरस पर इस मुहूर्त में करें पूजा, जानें लक्ष्मी-कुबेर पूजन का समय

  • Diwali Muhurat Dhanteras 2024: छोटी दिवाली से एक दिन पहले धनतेरस मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की उपासना करने से जातक को जीवन में कभी भी आर्थिक कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 26 Oct 2024 01:37 PM
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त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस मनाया जाता है। छोटी दिवाली से एक दिन पहले धनतेरस के पर्व को मनाया जाता है। सनातन शास्त्रों में धनतेरस का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की उपासना करने से जातक को जीवन में कभी भी आर्थिक कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर मंगलवार को दिन के 11:09 बजे के बाद होगी। इसका समापन 30 अक्टूबर को दोपहर 01:13 बजे पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। त्रयोदशी पूजा प्रदोष काल में होती है, ऐसे में 29 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा।

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दिवाली व धनतेरस पर इस मुहूर्त में करें पूजा

पंकज झा शास्त्री के अनुसार, धनतेरस पर सामान खरीदारी के लिए उत्तम समय दिन के 11:09 बजे से 01:22 बजे तक उत्तम होगा। दिन के 02:47 बजे से रात्रि 07:08 बजे तक का समय भी शुभ है। उपरान्त रात्रि 08:47 बजे के बाद पूरी रात आप घरेलु सामान खरीद सकते है।

लक्ष्मी-कुबेर पूजन का समय: लक्ष्मी कुबेर पूजा के लिए उत्तम समय इस दिन संध्या 05:34 से रात्रि 07:08 तक अति उत्तम है।

दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है। दीपावली में सुदर्शन क्रिया का ज्ञान रूपी दीपक जलाएं। इस बार दीपावली 31 अक्टूबर गुरुवार को मनायी जाएगी। अमावस्या तिथि की शुरुआत पंचांग अनुसार 31 अक्टूबर को दिन के 03:22 के बाद होगी। इसका समापन अगले दिन यानि 01 नवम्बर को संध्या 05:23 पर होगा। इस तरह अमावस्या तिथि प्रदोषकाल 31 अक्टूबर को बन रही है और इसी रात्रि में अमावस्या तिथि का निशित काल हो रही है। इसमें काली पूजा होती है। दीपावली में लक्ष्मी गणेश पूजा के लिए उत्तम समय 31 अक्टूबर को संध्या 05:31 से रात्रि 09:55 तक सभी के लिए अति उत्तम रहेगा।

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अमावस्या रात को होती है मां काली की पूजा

काली पूजा हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि की रात को मनाई जाती है। पंडित पंकज झा शास्री के अनुसार, इस दिन को काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ मां काली की पूजा की जाती है। काली पूजा अधरात्रि में की जाती है यानि दीपावली के निशित रात्रि में किया जाता है। ये पूजा विशेषतौर पर बिहार, उड़ीसा और बंगाल में की जाती है। ऐसी मान्यता है कि मां काली की पूजा करने सारे कष्टों को निवारण होता है। इसके साथ ही साधक को हर प्रकार को रोग और भय से मुक्ति मिलती है। मनचाहे वरदान के लिए भी काली माता की पूजा करना उत्तम माना जाता है। काली पूजा के लिए पूजा मुहूर्त रात्रि 11:25 से रात्रि 12:01 तक होगा।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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