Hindi Newsधर्म न्यूज़Diwali 2024 Date: When to celebrate 31st October or 1st November? Know Diwali Date pooja vidhi

31 या 1 दिवाली कब मनाना रहेगा शुभ? ज्योतिषाचार्यों से जानें डेट व पूजा विधि

  • Diwali 2024 Date: इस साल दिवाली की डेट को लेकर काफी कन्फ्यूजन बना हुआ है। दो दिन अमावस्या तिथि पड़ने से काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पंडित जी से जानें इस साल दिवाली की पूजा किस दिन करना उत्तम रहेगा।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 16 Oct 2024 12:28 PM
share Share

Diwali 2024 Date: हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि के दिन दिवाली मनाते हैं। इस साल दिवाली को लेकर लोगों में काफी कन्फ्यूजन बना हुआ है। दिवाली का सभी को पूरे साल बेसब्री से इंतजार रहता है। दिवाली का त्योहार पूरे 5 दिनों तक चलता है। ये पर्व धनतेरस से लेकर भाई दूज तक मनाया जाता है। मगर इस साल बड़ी दिवाली किस तारीख मनाई जाए, इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आइए पंडित जी से जानते हैं किस दिन दिवाली मनाना शुभ रहेगा व दिवाली की पूजा विधि-

ये भी पढ़ें:करवा चौथ पर 3 ग्रहों का शुभ प्रभाव, जानें चंद्रोदय व पूजा का मुहूर्त

31 या 1 दिवाली कब मनाना रहेगा शुभ?

पंडित सूर्यमणि पांडेय व आचार्य पप्पू पांडेय के मुताबिक, ऋषिकेश और महावीर पंचांग के अनुसार, गुरुवार के दिन दिवाली 31 अक्टूबर को सर्वसम्म्मत रूप से मनायी जाएगी। पंचांग के अनुसार, इस साल अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर के बाद 3 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर, 01 नवंबर की संध्या 05 बजकर 12 मिनट तक रहेगी। यानी कि 31 अक्टूबर की रात को अमावस्या तिथि विद्यमान रहेगी। इसलिए 31 अक्टूबर की रात को ही दीपावली मनाना तर्कसंगत होगा। दरअसल दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। प्रदोष काल के बाद दिवाली की पूजा की जाती है। इसी दिन रात में लक्ष्मी पूजन, काली पूजन और निशिथ काल की पूजा की जाएगी। मध्य रात्रि की पूजा भी 31 अक्टूबर की रात को ही करना सर्वमान्य होगा। जबकि अमावस्या से जुड़े दान पुण्य के काम और पितृ कर्म आदि 01 नवंबर को किया जाएगा।

दिवाली पूजा-विधि

  • पानी में गंगाजल मिलकर स्नान करें
  • भगवान गणेश और मां लक्ष्मी का जलाभिषेक करें
  • प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
  • गणेश जी को पीला चंदन, पीले रंग के फूल और दूर्वा अर्पित करें
  • अब मां लक्ष्मी को लाल चंदन, लाल रंग के फूल और श्रृंगार का सामान अर्पित करें
  • मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
  • श्री लक्ष्मी सूक्तम व गणेश चालीसा का पाठ करें
  • पूरी श्रद्धा के साथ भगवान गणेश और लक्ष्मी जी की आरती करें
  • गणेश जी को लड्डू या मोदक और माता को खीर का भोग लगाएं
  • अंत में क्षमा प्रार्थना करें

मंत्र-ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें