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देवउत्थान एकादशी 12 नवंबर को, जानें डेट, मुहूर्त व पूजा विधि

  • Dev Uthani Ekadashi 2024 : देवउत्थान एकादशी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनायी जाएगी। इस दिन भक्तगण उपवास रखकर भगवान विष्णु की विधिवत आराधना करेंगे।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 5 Nov 2024 02:36 PM
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Dev Uthani Ekadashi 2024: देव उठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी और देवुत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। देवउत्थान एकादशी कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनायी जाएगी। इस दिन भक्तगण उपवास रखकर भगवान विष्णु की आराधना करेंगे। देव उठनी एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, जिससे सुख, समृद्धि, एवं जीवन में शांति बनी रहती है। एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु का पूजन विशेष फलदायी होता है। आइए जानते हैं देव उठनी एकादशी कब है, शुभ मुहूर्त व पूजा की विधि-

देव उठनी एकादशी 12 नवंबर को: हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 नवंबर को शाम 06:46 बजे से शुरू होगी, जिसका समापन 12 नवंबर को शाम 04:04 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार, 12 नवंबर को देव उठनी एकादशी व्रत रखा जाएगा।

एकादशी व्रत पारण: 12 नवंबर को व्रत पारण का समय सुबह 06:42 से सुबह 08:51 तक रहेगा। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय दोपहर 01:01 बजे रहेगा।

देव उठनी एकादशी शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 04:56 एएम से 05:49 एएम

प्रातः सन्ध्या- 05:22 एएम से 06:42 एएम

अभिजित मुहूर्त- 11:44 एएम से 12:27 पीएम

विजय मुहूर्त- 1:53 पीएम से 02:36 पीएम

गोधूलि मुहूर्त- 05:29 पीएम से 05:55 पीएम

सायाह्न सन्ध्या- 05:29 पीएम से 06:48 पीएम

अमृत काल- 01:19 एएम, नवम्बर 13 से 02:46 एएम, नवम्बर 13

निशिता मुहूर्त- 11:39 पीएम से 12:32 एएम, नवम्बर 13

सर्वार्थ सिद्धि योग- 07:52 एएम से 05:40 एएम, नवम्बर 13

रवि योग- 06:42 एएम से 07:52 एएम

देव उठनी एकादशी पूजा-विधि

  • स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें
  • भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें
  • प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
  • अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें
  • मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
  • संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें
  • देव उठनी एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें
  • पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें
  • प्रभु को तुलसी दल सहित भोग लगाएं
  • अंत में क्षमा प्रार्थना करें

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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