4 शुभ योग में अहोई अष्टमी व्रत, जानें पूजा विधि, मुहूर्त, चांद व तारे देखने का समय
- Ahoi Ashtami date Timingsअहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के 4 दिन बाद रखा जाता है। इसलिए 24 अक्टूबर को माताएं यह व्रत करेंगी। इस साल कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर अहोई अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और तरक्की के लिए व्रत रखकर शाम में पूजन करती हैं।
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अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के 4 दिन बाद रखा जाता है। इसलिए 24 अक्टूबर को माताएं यह व्रत करेंगी। इस साल कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर अहोई अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और तरक्की के लिए व्रत रखकर शाम में पूजन करती हैं। 24 अक्टूबर को माताएं पार्वती मां के स्वरूप अहोई देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान, उपवास और उपासना करेंगी। अहोई माता की कृपा से संतान पर आयी अनहोनी टल जाती है व घर में सुख समृद्धि आती है।
4 शुभ योग में अहोई अष्टमी व्रत: अहोई अष्टमी गुरुवार को गुरु पुष्य योग, साध्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग व पुष्य नक्षत्र में मनाई जाएगी। ये चारों योग अत्यंत शुभ होने के साथ ही सुख, समृद्धि और वैभव देने वाले माने जाते हैं। सांई मंदिर के पुजारी पं. अवनीश शर्मा के अनुसार, इस बार अहोई अष्टमी 24 अक्तूबर को है। इस दिन सुबह 6.15 बजे से अगले दिन सुबह 7.40 बजे तक गुरु पुष्य योग बन रहा है। पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी रहेगा। बताया कि ये तीनों योग बहुत शुभ होते हैं। इनमें पूजा-पाठ करने से सुख, समृद्धि, वैभव प्राप्त होता है।
राहुकाल का समय- दोपहर 1:29 बजे से दोपहर 2:54 बजे तक (पंचांग अनुसार)
अहोई अष्टमी पूजा विधि: चौकी पर पीले या लाल रंग का साफ वस्त्र बिछाएं। चौकी समेत पूजन के स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। अहोई माता को अष्ट कोणिय रूप में चौकी पर पूर्वोत्तर दिशा में स्थापित करें। माता का जलाभिषेक करें। धूप, दीप, फूल, फल, चंदन, चुनरी, व शृंगार का सामान चढ़ाएं। माता के नीचे 7 बच्चों के प्रतीक बनाकर, हथेली में 7 दाने गेहूं के लेकर कहानी कहे व सुनें। गुड़ का भोग अवश्य लगाएं। बायना उपहार प्रदान कर अपनी संतान के लिए आशीर्वाद लें। श्रद्धा के साथ माता ही आरती करें। अंत में क्षमा प्रार्थना करना न भूलें। तारों का दर्शन करके व अर्घ्य देकर माताएं व्रत का पारण कर सकती हैं।
अहोई अष्टमी पर पूजा मुहूर्त
- पंचांग अनुसार, अष्टमी तिथि 23 अक्टूबर को रात 01 बजकर 21 मिनट से प्रारम्भ होगी, सूर्योदय 6 बजकर 27 मिनट पर होगा। वहीं, 24 अक्टूबर को रात 01:58 बजे समाप्त हो जाएगी।
- दिन में अहोई अष्टमी कथा सुनने और पूजन के लिए पंचांग अनुसार, दोपहर 12:05 बजे से 13:29 बजे के बीच लाभ चौघड़िया मुहूर्त का समय श्रेष्ठ रहेगा।
- ज्योतिषचार्य राहुल अग्रवाल के अनुसार, संध्या काल में अहोई माता के पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम में 5:39 बजे से शाम 7:15 बजे तक है। इस समय शुभ प्रदोष काल भी रहेगा।
चांद व तारे देखने का समय
- पंचांग अनुसार 24 अक्टूबर को तारों को देखने का समय - शाम 06:06 बजे से है।
- पंचांग अनुसार अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय रात 11:55 मिनट रहेगा, शहर अनुसार चंद्रोदय के समय में कुछ मिनटों का फर्क हो सकता है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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