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Ahoi puja time: अहोई के पूजन का शाम को इतने बजे से शुरू होगा शुभ मुर्हुत, नोट कर लें पूजा- विधि और तारों के दिखने का समय

  • इस बार अहोई अष्टमी का पर्व 24अक्टूबर को मनाया जाएगा। कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माताएं अपनी संतान की दीर्घायु व सुख समृद्धि के लिए पूजा अर्चना कर उपवास करेंगी। इस दिन शाम के समय अहोई माता की तस्वीर के सामने विधि विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 24 Oct 2024 06:10 AM
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इस बार अहोई अष्टमी का पर्व 24अक्टूबर को मनाया जाएगा। कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माताएं अपनी संतान की दीर्घायु व सुख समृद्धि के लिए पूजा अर्चना कर उपवास करेंगी। इस दिन शाम के समय अहोई माता की तस्वीर के सामने विधि विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए। इस दिन माता पार्वती के अहोई स्वरूप की अराधना की जाती है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान के लिए बिना अन्न-जल ग्रहण किये निर्जल व्रत रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान दीर्घायु होती हैं। रोगों से उनकी रक्षा होती है। नि:संतान महिलाएं भी बच्चे की कामना में अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। शाम को व्रत कथा का पाठ किया जाता है।

अहोई माता को कुमकुम लगाने के बाद फूल चढ़ाए और घी का दीपक जलाकर हलवा-पूरी का भोग लगाए। शाम को कथा सुनकर व तारो का दर्शन करने के बाद उन्हें अर्घ्य देकर व्रत खोले। इस दिन सुबह 6.15 बजे से अगले दिन सुबह 7.40 बजे तक गुरु पुष्य योग बन रहा है। पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी रहेगा। बताया कि ये तीनों योग बहुत शुभ होते हैं। इनमें पूजा-पाठ करने से सुख, समृद्धि, वैभव प्राप्त होता है।

अष्टमी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 24, 2024 को 01:18 ए एम बजे

अष्टमी तिथि समाप्त - अक्टूबर 25, 2024 को 01:58 ए एम बजे

अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त (शाम का) - 05:45 पी एम से 07:02 पी एम

अवधि - 01 घण्टा 17 मिनट्स

तारों को देखने के लिये शाम का समय - 06:10 पी एम

अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय - 11:55 पी एम

अहोई अष्टमी पूजा विधि-

दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनाएं।

रोली, चावल और दूध से पूजन करें।

इसके बाद कलश में जल भरकर माताएं अहोई अष्टमी कथा का श्रवण करती हैं।

अहोई माता को पूरी और किसी मिठाई का भी भोग लगाया जाता है।

इसके बाद रात में तारे को अर्घ्य देकर संतान की लंबी उम्र और सुखदायी जीवन की कामना करने के बाद अन्न ग्रहण करती हैं।

इस व्रत में सास या घर की बुजुर्ग महिला को भी उपहार के तौर पर कपड़े आदि दिए जाते हैं।

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