कौन हैं सुनील कानुगोलू, जिन्होंने एक साल में कांग्रेस को दिलाई दोहरी जीत; फॉर्म हाउस पर मीटिंग कर कैसे चूके KCR?
Who is Sunil Kanugolu: 40 साल के सुनील कानुगोलू कर्नाटक के बेल्लारी के रहने वाले हैं। उन्होंने चेन्नई से पढ़ाई की है और बाद में हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका चले गए। वह बहुत ही लो प्रोफाइल में रहते हैं।
चार राज्यों के चुनावी रुझानों और नतीजों से साफ हो गया है कि हिन्दी पट्टी के तीन बड़े राज्यों में बीजेपी ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है, जबकि एकमात्र दक्षिणी राज्य तेलंगाना में कांग्रेस की जीत हुई है। 2014 में बने तेलंगाना में पहली बार कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है। 119 सदस्यों वाली तेलंगाना विधानसभा में कांग्रेस ने बहुमत हासिल करते हुए कुल 65 सीटें जीती हैं, जबकि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की सत्ताधारी पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को 40 सीटों से संतोष करना पड़ा है।
2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 16 सीटों से संतोष करना पड़ा था लेकिन पांच साल बाद उसने चौगुनी सीट हासिल की है। कांग्रेस की इस बड़ी जीत के पीछे एक ऐसे रणनीतिकार का नाम लिया जा रहा है, जिसने सालभर के अंदर कांग्रेस को दोहरी जीत का स्वाद चखाया है। उस शख्स का नाम है सुनील कानुगोलू। बता दें कि तेलंगाना से पहले कानुगोलू कर्नाटक में भी अपनी आक्रामक चुनावी रणनीति के जरिए कांग्रेस को जीत दिलवा चुके हैं।
कौन हैं सुनील कानुगोलू?
सुनील कानुगोलू चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के सहयोगी रह चुके हैं। 2009 में अमेरिका से लौटने के बाद कानुगोलू पीके की टीम में शामिल हुए और 2014 के लोकसभा चुनावों में पीएम नरेंद्र मोदी के चुनावी कैम्पेन के लिए काम करते रहे। 2014 के चुनावों के बाद पीके ने बीजेपी से अपना रास्ता अलग कर लिया जबकि कानुगोलू बीजेपी के साथ जुड़े रहे। उन्होंने 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों के लिए भी रणनीति बनाई।
डीएमके के रास्ते कांग्रेस के करीब हुए कानुगोलू
2019 तक आते-आते सुनील कानुगोलू की राह भी बीजेपी से अलग हो गई। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने डीएमके के लिए काम किया। 2020 में वह पंजाब चुनावों में अकाली दल के लिए काम करना शुरू किया लेकिन बीच में ही वह अलग हो गए। फिर 2021 में उन्होंने तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में एआईएडीएमके के लिए काम किया। इस चुनाव के बाद उन्होंने कर्नाटक में कांग्रेस के लिए काम करना शुरू किया।
दो साल पहले कांग्रेस से जुड़ने वाले कानुगोलू के लिए कर्नाटक का प्रोजेक्ट उनके लिए फुल टाइम प्रोजेक्ट था। कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद कानुगोलू सीएम सिद्धरमैया के और करीबी हो गए। उन्हें मुख्यमंत्री का सलाहाकार बना दिया गया और कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया। कानुगोलू ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी अहम भूमिका निभाई।
KCR के फार्म हाउस में लंबी-लंबी बैठकें, पर नहीं हो सका गठजोड़:
इससे पहले यानी दो साल पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने भी सुनील कानुगोलू के साथ संपर्क किया था। दोनों के बीच केसीआर के फार्म हाउस में कई दौर की लंबी-लंबी बैठकें हुईं और चुनावी रणनीति पर मंथन हुआ लेकिन अंतत: कानुगोलू ने केसीआर के लिए काम नहीं करने का फैसला किया। इसके कुछ ही दिनों बाद उन्होंने चौंकाते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की इलेक्शन कैम्पेनिंग कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस में शामिल हो गए और अपने मिशन के लिए करना शुरू कर दिया। कांग्रेस में शामिल होते ही उन्होंने कर्नाटक और तेलंगाना दोनों पर एक साथ काम करना शुरू कर दिया।
KCR ने लगा दिया पीछे पुलिस
जब कानुगोलू ने तेलंगाना में काग्रेस के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी, तब पार्टी निष्क्रिय थी। पार्टी के नेता कई गुटों में बंटे हुए थे। सबसे पहले उन्होंने पार्टी को व्यवस्थित करने पर ध्यान दिया फिर सीएम केसीआर के खिलाफ उपजे जनाक्रोश को देखते हुए उनके खिलाफ नैरेटिव सेट करने में जुट गए। कानुगोलू की रणनीति से घबराए केसीआर ने उनके पीछे पुलिस लगा दिया. बावजूद इसके वह नहीं रुके। पुलिस ने हैदराबाद में कानुगोलू के दफ्तर पर छापा भी मारा, पूछताछ भी की लेकिन वह अडिग रहे।
बेहद शांत स्वभाव के हैं कानुगोलू
40 साल के सुनील कानुगोलू कर्नाटक के बेल्लारी के रहने वाले हैं। उन्होंने चेन्नई से पढ़ाई की है और बाद में हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका चले गए। वह बहुत ही लो प्रोफाइल में रहकर चुपचाप काम करते हैं और आमतौर पर पर्दे के पीछे रहना पसंद करते हैं। वह चुनावों के मामले में अब सीधे राहुल गांधी को सुझाव देते हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।