हिमाचल में 68 सीटें, 24 महिलाओं ने लड़ा था चुनाव, जीत सकी केवल एक, जानिए कौन हैं वो MLA
हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यीय विधानसभा में इस बार सिर्फ एक महिला विधायक होगी। प्रदेश में 12 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा।
हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यीय विधानसभा में इस बार सिर्फ एक महिला विधायक होगी। प्रदेश में 12 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। चुनावी रण में किस्मत आजमा रहीं 24 में से केवल एक ही महिला प्रत्याशी चुनाव जीतने में कामयाब हुई। राज्य में कुल मतदाताओं में करीब 49 फीसदी महिलाएं हैं।
हिमाचल में इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 6, आम आदमी पार्टी (आप) ने 5 और कांग्रेस ने 3 महिलाओं को टिकट दिए थे, लेकिन केवल भाजपा की रीना कश्यप ही चुनाव जीतने में कामयाब हो सकी हैं। रीना कश्यप ने पच्छाद (एससी) सीट से फतह हासिल की है। उन्होंने 2021 में हुए उपचुनाव में इस सीट से जीत दर्ज की थी।
भाजपा उम्मीदवार रीना कश्यप ने 3857 वोटों से जीत दर्ज की है। उन्हें जहां इस बार 21215 वोट मिले हैं, वहीं उनकी प्रतिद्वंद्वी रहीं कांग्रेस की दयाल प्यारी को 17358 वोटों से ही संतोष करना पड़ा। वोट शेयर को देखें तो भाजपा को 34.52 फीसदी और कांग्रेस को 28.25 फीसदी वोट मिले हैं।
साल 2017 में, चार महिला उम्मीदवार विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रही थीं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री और कांगड़ा के शाहपुर से चार बार विधायक रहीं सरवीन चौधरी, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और डलहौजी से छह बार की विधायक आशा कुमारी, इंदौरा से भाजपा विधायक रीता धीमान, मंडी से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कौल सिंह की बेटी चंपा ठाकुर चुनाव हार गई हैं। आशा कुमारी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल थी।
दिलचस्प बात यह है कि राज्य के कुल मतदाताओं में करीब 49 फीसदी महिलाएं हैं। 1998 के चुनावों के बाद से महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों की तुलना में अधिक रहा है और यह प्रवृत्ति पिछले पांच चुनावों से जारी रही है। महिला और पुरुष मतदाताओं का मतदान प्रतिशत 1998 में 72.2 और 71.23 प्रतिशत, 2003 में 75.92 और 73.14 प्रतिशत, 2007 में 74.10 और 68.36 प्रतिशत, 2012 में 76.20 और 69.39 प्रतिशत और 2017 में 77.98 और 70.58 प्रतिशत था।
इस बार हुए हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में जहां 76.8 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत 72.4 फीसदी था। पुरुषों के मुकाबले इस बार 82,301 अधिक महिला मतदाताओं मतदान किया।
कांगड़ा में जयसिंहपुर (एससी), हमीरपुर में भोरंज (एससी) और शिमला जिले के जुब्बल-कोटखाई के तीन निर्वाचन क्षेत्रों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक है और 68 विधानसभा क्षेत्रों में से 19 में पुरुष और महिला मतदाताओं के बीच का अंतर 1000 से कम है और 42 प्रतिशत निर्वाचन क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में महिला मतदान अधिक थीं।
भाजपा ने महिलाओं के लिए किए थे 11 वादे
महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए भाजपा ने 'स्त्री शक्ति संकल्प' के तहत महिलाओं के लिए 11 वादे किए थे और सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की थी, महिलाओं को ब्याज मुक्त ऋण देने के लिए 500 करोड़ रुपये का कॉर्पस फंड और स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियों को साइकिल और स्कूटी, जबकि कांग्रेस ने 'हर घर लक्ष्मी, नारी सम्मान निधि' का अनावरण किया, जिसमें वयस्क महिलाओं को प्रति माह 1,500 रुपये देने का वादा किया गया था।
हालांकि, महिला सशक्तिकरण के बड़े-बड़े दावों और उन्हें दी जाने वाली रियायतों के बावजूद, प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच स्पष्ट लैंगिक पूर्वाग्रह है और 1967 के बाद से पंद्रह चुनावों में केवल 43 महिलाएं राज्य विधानसभा के लिए चुनी गईं।
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