गुजरात चुनावः 2017 के विरोधी इन युवा नेताओं ने आसान कर दी भाजपा की जंग?
2017 में हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर भाजपा के खिलाफ जमकर प्रचार कर रहे थे। वहीं दोनों ही नेता अब भाजपा के प्रत्याशी हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा के लिए जंग आसान हो गई है।
गुजरात विधानसभा के इस बार के हालात पिछले चुनाव से बहुत अलग हैं। एक तो इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है। दूसरा 2017 के विधानसभा चुनाव में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी भाजपा का रथ रोकने का काम कर रहे थे। हार्दिक पाटीदार आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे थे। ठाकोर ओबीसी और मेवाणी दलितों के अधिकार के लिए मोर्चा खोले हुए थे। अब हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर भाजपा के प्रत्याशी हैं। वहीं मेवाणी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
हार्दिक पटेल पाटीदार समुदाय के आंदोलन को लेकर फेमस हुए थे। अगले तीन साल में उनके राजनीतिक जीवन में काफी बदलाव हुए। 2019 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। अब वह विरामगाम से भाजपा के उम्मीदवार हैं। 2016 में हार्दिक पटेल पाटीदार अनामत आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। 2017 के चुनाव के समय वह मात्र 25 साल के थे। हालांकि एक तरह से इस चुनाव में वह कांग्रेस की मदद कर रहे थे। वे पीएम मोदी, अमित शाह और तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल पर जमकर हमला बोल रहे थे।
भाजपा से सवाल पूछने के लिए हार्दिक पटेल ने 'विकास गांडो थयो छे' कैंपेन चलाया था। गुजरात में कांग्रेस को जीत भले ही हासिलन नहीं हुई थी लेकिन प्रदर्शन बुरा भी नहीं था। कांग्रेस को 77 सीटें हासिल हुई थीं। 2020 में हार्दिक पटेल को गुजरात में कांग्रेस का वर्किंग प्रेसिडेंट बना दिया गया। वह लगातार भाजपा पर हमला करते रहे। लेकिन बाद में असंतुष्ट होकर भाजपा में ही चले आए।
अल्पेश ठाकोर
2017 में अल्पेश ठाकोर कांग्रेस के विधानसभा उम्मीदवार थे और भाजपा के खिलाफ प्रचार कर रहे थे। उनके एक बयान के बाद काफी बवाल हुआ था। उन्होने दावा किया था कि पीएम मोदी अपने चेहरे की चमक बनाए रखने के लिए रोज 4 लाख का मशरूम खाते हैं। हालांकि बाद में अल्पेश ठाकोर के राजनीतिक विचार बदलने लगे। वह इस बार गांधीनगर दक्षिण से भाजपा के उम्मीदवार हैं। अल्पेश ठाकोर गुजरात में शराब की सप्लाई को लेकर भी सड़क पर उतरे थे। उन्होंने ओबीसी युवाओं को जुटाने के लिए क्षत्रिय ठाकोर सेना बनाई। उन्होंने कहा कि पाटीदारों को भी ओबीसी में शामिल कर देना चाहिए। उन्होंने हार्दिक के आंदोलन के खिलाफ आंदोलन खड़ा कर दिया।
ठाकोर 2017 के चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए। राहुल गांधी ने खुद उनको कांग्रेस में शामिल करवाया था। उन्हें राधनपुर सीट से टिकट दिया गया। भाजपा ने उसी सीट से उन्हें मैदान में उतारा है। भाजपा के मौजूदा विधायक शाभूजी ठाकोर का टिकट काटकर उन्हें टिकट दिया गया है।
जिग्नेश मेवाणी
केवल जिग्नेश मेवाणी ही ऐसे युवा नेता हैं जो कि 2017 में भी भाजपा के खिलाफ थे और आज भी भाजपा के खिलाफ हैं। उना में दलितों के लिए आवाज उठाने के बाद जिग्नेश मेवाणी चर्चा में आए थे। 2017 में उन्हें वाडगाम सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सफलता मिली। कांग्रेस ने भी उनका समर्थन किया था। पांच साल से वह भी कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं। इस साल की शुरुआत में उन्हें आपत्तिजनक ट्वीट के लिए असम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए और उन्हें राज्य में कांग्रेस का वर्किंग प्रेसिडेंट बना दिया गया।
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