न SC की मानी बात, न CM से की मुलाकात; हड़ताली डॉक्टरों के लिए 2.5 घंटे इंतजार करती रह गईं ममता बनर्जी
शाम 7.30 बजे तक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय के दफ्तर में उनका इंतजार किया ताकि गतिरोध दूर किया जा सके और समाधान निकाला जा सके लेकिन आंदोलनकारी डॉक्टरों की ओर से ना तो कोई जवाब आया और ना ही कोई मुलाकात करने आया। शाम 7.30 बजे सीएम बनर्जी फिर नबन्ना परिसर से चली गईं।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में पिछले महीने एक ट्रेनी डॉक्टर के रेप एंड मर्डर के विरोध में और पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हड़ताली डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी मानने से इनकार कर दिया है। पश्चिम बंगाल के हड़ताली डॉक्टरों ने फिलहाल काम पर नहीं लौटने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज शाम 5 बजे तक हड़ताली डॉक्टरों से काम पर लौटने को कहा था।
इस बीच, हड़ताली डॉक्टरों ने राज्य सरकार से भी बातचीत नहीं की। समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए पश्चिम बंगाल की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, "कल सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आंदोलन कर रहे छात्रों को आज शाम 5 बजे तक काम पर वापस आ जाना चाहिए। पश्चिम बंगाल सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शाम 5 बजे तक इंतजार किया। इसके बाद प्रशासनिक अधिकारी इस नतीजे पर पहुंचे कि 10 डॉक्टरों से बातचीत की जाए। इसके बाद मुख्य सचिव की तरफ से शाम 6.10 बजे हड़ताली डॉक्टरों को बातचीत करने के लिए नबन्ना आने के लिए एक ईमेल भेजा गया।"
उन्होंने बताया कि शाम 7.30 बजे तक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय के दफ्तर में उनका इंतजार किया ताकि गतिरोध दूर किया जा सके और समाधान निकाला जा सके लेकिन आंदोलनकारी डॉक्टरों की ओर से ना तो कोई जवाब आया और ना ही कोई मुलाकात करने आया। शाम 7.30 बजे सीएम बनर्जी फिर नबन्ना परिसर से चली गईं। भट्टाचार्य ने बताया कि मुख्यमंत्री बनर्जी हमेशा जूनियर डॉक्टरों से अपने काम पर लौटने का अनुरोध करती रही हैं लेकिन आंदोलनकारी डॉक्टर जिद पर अड़े हैं।
इस बीच, आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों ने मंगलवार शाम 5 बजे तक काम पर लौटने संबंधी आदालती निर्देश की अवज्ञा करते हुए कहा कि वे अपनी मांगें पूरी होने और आरजी कर अस्पताल घटना की पीड़िता को न्याय मिलने तक ड्यूटी पर नहीं जाएंगे। शीर्ष अदालत ने एक दिन पहले, प्रदर्शनकारी रेजिडेंट डॉक्टरों को मंगलवार शाम पांच बजे तक काम पर लौटने का निर्देश देते हुए कहा था कि ऐसा करने पर उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी।
न्यायालय ने यह निर्देश पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा यह आश्वासन दिए जाने के बाद दिया था कि काम पर लौटने पर प्रदर्शनकारी चिकित्सकों के खिलाफ दंडात्मक तबादलों सहित कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। आंदोलनकारी चिकित्सकों में से एक ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमारी मांगें पूरी नहीं होने के कारण हम काम बंद रखेंगे। हमने राज्य सरकार को कोलकाता पुलिस आयुक्त, स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक और चिकित्सा शिक्षा निदेशक को शाम पांच बजे तक पद से हटाने को कहा था। हम चर्चा के लिए तैयार हैं।’’ जूनियर डॉक्टरों ने 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सेमिनार कक्ष में एक स्नातकोत्तर प्रशिक्षु महिला (चिकित्सक) का शव मिलने के कुछ घंटों बाद काम बंद कर दिया था। (भाषा इनपुट्स के साथ)
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।