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लिंग परिवर्तन करवा रही हैं पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री की बेटी, बताई वजह

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की बेटी सुचेतना लिंग परिवर्तन करवा रही हैं। उनका कहना है कि वह मानसिक रूप से एक पुरुष हैं और ऐसे में वह अपनी शारीरिक बनावट को लेकर चिंतित हैं।

Ankit Ojha एजेंसियां, कोलकाताThu, 22 June 2023 06:52 AM
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पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की बेटी सुचेतना भट्टाचार्य लिंग परिवर्तन कराने जा रही हैं। उन्होंने सर्जरी के जरिए सुचेतना से सुचेतन बनने का फैसला कर लिया है। इसके अलावा उन्होंने दस्तावेजों पर परिवर्तन के लिए कानून प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। उन्होंने इस संबंध में मनोचिकित्सकों से भी संपर्क किया है। 

हाल ही में वह एक LGBTQIA+ वर्कशॉप में शामिल हुई थीं। उन्होंने कहा था कि उनके पुरुष बनने की चिकित्सकीय प्रक्रिया जल रही है। गर्भाशय से जुड़ी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब मास्टेक्टोमी से पहले उन्हें मनोचिकित्सकों से संपर्क करना है। उन्होंने कहा कि जब तक दस्तावेजों से संबंधित कानूनी प्रक्रिया नहीं पूरी हो जाती उन्हें महिला के तौर पर संबोधित किया जा सकता है। 

उन्होंने कहा, मैं अभी चिकित्सकीय प्रक्रिया के बीच में हूं। जल्द ही कानूनी प्रक्रिया भी शुरू होगी। मेरे वोटर कार्ड, आधार कार्ड और पैन कार्ड पर अब भी मेरी पहचान फीमेल के रूप में है। आगे मुझे सुचेतन भट्टाचार्य के रूप में जाना जाएगा। बता दें कि भट्टाचार्य ऑडियो विजुअल मीडियम की एक फ्रीलांसर हैं। अगले साल तक लिंग परिवर्तन की प्रक्रिया पूरी हो सकती है। उन्होंने कहा, मुझे इस बात की चिंता है कि लोग मेरे परिवार के बारे में क्या कहेंगे। लेकिन यह मेरा जीवन है और इसे अपने ढंग से जीने का अधिकार है। 

सुचेतना ने कहा, मेरे पिता इस बारे में शुरू से ही जानते हैं। उन्होंने मेरी इच्छा को स्वीकार किया है। हालांकि मेरी मां इस मामले में संकोच कर रही थीं। मैं नहीं चाहती कि  इसके बीच में मेरे मां-बाप को घसीटा जाएगा। मैं 41 साल की हो गई हूं और अपने बारे में फैसला कर सकती हूं। मेरे माता-पिता इसमें कुछ नहीं कहेंगे। उन्होंने कहा कि बचपन से ही वह अपने जेंडर के बारे में चिंतित रहती थीं। मैं जिस तरह की ड्रेस पहनती थी या फिर हेटरकट लेती थी, उससे लड़का जैसी ही फीलिंग आती थी। 

उन्होंने कहा, पाथा भवन स्कूल और प्रेसिडेंसी कॉलेज में मुझे किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। मेरे दोस्त और टीचर सब बहुत सपोर्टिव थे। उन्होंने अपने जीवनसाथी सुचंदा मुखर्जी का जिक्र करते हुए कहा कि वह उनके प्राइमरी स्कूल के दिनों से ही दोस्त हैं। वह बहुत ही सपोर्टिव और  प्रोटेक्टिव हैं। 2004 में उन्हें समझ में आया कि वे दोस्त से बढ़कर हैं। हालांकि शादी की कोई जरूरत नहीं है। 

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