Hindi Newsपश्चिम बंगाल न्यूज़Ex-serviceman runs 21 km to file nominations for upcoming panchayat polls and send out a message

Bengal Panchayat Chunav: पूर्व सैनिक ने पेश की मिसाल, नॉमिनेशन से पहले लगाई 21 किमी की दौड़

उन्होंने कहा, "हम सभी को वाहनों के उपयोग को कम करने की कोशिश करनी चाहिए। अगर दूरी कम है और पैदल पहुंचा जा सकता है तो हम चल सकते हैं। इस तरह हम प्रदूषण के बोझ को भी कम कर सकते हैं।"

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान, कोलकाता।Thu, 15 June 2023 10:50 AM
share Share

पश्चिम बंगाल में इन दिनों पंचायत चुनाव के लिए नॉमिनेशन की प्रक्रिया चल रही है। उत्तर बंगाल में दार्जिलिंग हिल्स के रहने वाले एक पूर्व सैनिक सरन सुब्बा ने भी बुधवार को अपना नमांकन दर्ज कराया। वह निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। अपना नामांकन दाखिल कराने के लिए उन्होंने 21 किमी की दौड़ लगाई। ऐसा कर वह एक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं।

सुब्बा ने कहा, "'मैं अपनी कार से आसानी से ब्लॉक कार्यालय जा सकता था और नामांकन दाखिल कर सकता था। लेकिन मैं एक संदेश देना चाहता हूं। पहाड़ियों को हर दिन ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ रहा है। यह एक गंभीर मुद्दा बन गया है। हम स्थिति को सुधारने के लिए कारों और दोपहिया वाहनों के उपयोग को कम करने का संदेश देना चाहते हैं।''

आपको बता दें कि दार्जिलिंग और कलिम्पोंग पहाड़ियों में 23 साल बाद 8 जुलाई को ग्रामीण चुनाव हो रहे हैं। नामांकन प्रक्रिया गुरुवार शाम को समाप्त हो जाएगी। 6710 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस इलाके को 'पहाड़ियों की रानी' कहा जाता है। यह दार्जिलिंग सबसे लोकप्रिय पहाड़ी स्थलों में से एक है। हर साल यहां लगभग 25 लाख पर्यटक आते हैं। 

सुब्बा ने कहा, ''जब मैं 2004-2005 के दौरान पढ़ाई कर रहा था तब दार्जिलिंग शहर तक पहुंचने में हमें मुश्किल से 35 मिनट लगते थे। यह सोनादा से सिर्फ 14 किमी दूर है। अब इतनी दूरी तय करने में कभी-कभी तीन घंटे से ज्यादा लग जाते हैं, क्योंकि ट्रैफिक जाम एक बुरा सपना बन गया है।''

सुब्बा ने सोनादा में अपने घर से सुबह 4 बजे के आसपास हाफ मैराथन शुरू की। वह सुबह करीब 8 बजे जोरबंग्लो-सुखियापोखरी में बीडीओ के कार्यालय पहुंचे। सुबह 10 बजे कार्यालय खुलने के कारण उन्हें नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए करीब दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने कहा, "हम सभी को वाहनों के उपयोग को कम करने की कोशिश करनी चाहिए। अगर दूरी कम है और पैदल पहुंचा जा सकता है तो हम चल सकते हैं। इस तरह हम प्रदूषण के बोझ को भी कम कर सकते हैं।"

सुब्बा रिटायरमेंट के बाद युवाओं को भारतीय सेना में शामिल होने के लिए प्रशिक्षित करते हैं। वे स्थानीय लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।

नॉमिनेशन के बाद उन्होंने कहा, ''मेरे इलाके में सड़कें वास्तव में नहीं हैं। गाड़ियां गांव तक नहीं पहुंचती हैं। कोई बीमार होता है तब काफी मुश्किल हो जाता है। हम बीमार लोगों को स्ट्रेचर पर ले जाते हैं और मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करते हैं।''

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें