Hindi Newsपश्चिम बंगाल न्यूज़Aadhaar Card Can Be Given To Non-Citizens Nothing To Do With Citizenship UIDAI to High Court

गैर-नागरिकों को भी दिया जा सकता है आधार कार्ड, इसका नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं: UIDAI

UIDAI की वरिष्ठ वकील लक्ष्मी गुप्ता ने याचिकाकर्ताओं के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देते हुए अपनी दलीलें शुरू कीं। उन्हें 'अपंजीकृत संगठन' बताते हुए कहा कि उनके कहने पर ऐसी दलीलें स्वीकार्य नहीं होंगी।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, कोलकाताSat, 6 July 2024 03:51 PM
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भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने कलकत्ता उच्च न्यायालय (HC) में स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड का भारतीय नागरिकता से कोई संबंध नहीं है और इसे गैर-नागरिकों को भी जारी किया जा सकता है। यूआईडीएआई ने यह बयान एक मामले की सुनवाई के दौरान दिया। यूआईडीएआई के वकील ने अदालत को बताया कि आधार कार्ड केवल एक पहचान प्रमाण है और इसका उद्देश्य नागरिकता की पुष्टि करना नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में वैध रूप से प्रवेश करने वाले गैर-निवासियों को भी आवेदन करने पर आधार कार्ड जारी किया जा सकता है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, ये दलीलें मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ के समक्ष दी गईं। यह खंडपीठ पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में आधार कार्डों को अचानक निष्क्रिय और पुनः सक्रिय किए जाने को चुनौती देने वाली 'एनआरसी के खिलाफ संयुक्त मंच' की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं ने आधार नियमों के रेगुलेशन्स 28ए और 29 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। यह रेगुलेशन्स आधार बनाने वाली अथॉरिटी को यह निर्णय लेने की असीमित शक्ति प्रदान करते हैं कि कौन विदेशी है और किसका आधार कार्ड निष्क्रिय किया जाए।

याचिकाकर्ता की वकील झूमा सेन ने तर्क दिया, "आधार एक बहुत बड़ी चीज है। आधार के बिना कोई पैदा नहीं हो सकता- क्योंकि यह जन्म प्रमाण पत्र के लिए जरूरी है, और आधार के बिना कोई मर भी नहीं सकता। हमारा जीवन आधार के मैट्रिक्स के भीतर जुड़ा हुआ है।" वकील ने आगे बताया कि एक बांग्लादेशी नागरिक और उसके परिवार के आधार कार्ड को निष्क्रिय करने के मामले में हाईकोर्ट की एक समन्वय पीठ ने हस्तक्षेप किया था।

यूआईडीएआई की वरिष्ठ वकील लक्ष्मी गुप्ता ने याचिकाकर्ताओं के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देते हुए अपनी दलीलें शुरू कीं। उन्हें 'अपंजीकृत संगठन' बताते हुए कहा कि उनके कहने पर ऐसी दलीलें स्वीकार्य नहीं होंगी। आगे तर्क दिया गया कि आधार कार्ड का नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है और इसे उन लोगों को दिया जा सकता है जो गैर-नागरिक हैं ताकि वे सरकारी सब्सिडी का लाभ उठा सकें।

यह तर्क दिया गया कि यह याचिका इसलिए भी स्वीकार्य नहीं होनी चाहिए क्योंकि इसमें उन लोगों के हितों की बात की गई है जो गैर-नागरिक हैं यानी वे बांग्लादेशी नागरिक हैं। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक कुमार चक्रवर्ती ने कहा कि यह याचिका स्वीकार्य नहीं होनी चाहिए क्योंकि इसमें आधार अधिनियम की धारा 54 को चुनौती नहीं दी गई है। याचिकाकर्ता देश की संप्रभुता को चुनौती नहीं दे सकता है, क्योंकि इस तरह के प्रख्यापन को कानूनी रूप से वैध नहीं माना जा सकता है।

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