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अगर पुलवामा मुद्दे पर जवान सीमा छोड़ हड़ताल पर चले गए तो... TMC नेता का हड़ताली डॉक्टरों से सवाल

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुणाल घोष ने एक्स पर एक पोस्ट में डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने का अनुरोध करते हुए लिखा है कि मेरा एक सवाल है। पुलवामा मामले में कोई न्याय नहीं हुआ है। इसलिए, अगर जवान भी सीमाओं को छोड़कर 'हमें न्याय चाहिए' कहकर हड़ताल शुरू करते हैं, तो आप इसे कैसे देखेंगे

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 21 Aug 2024 05:45 PM
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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म और उसकी हत्या के विरोध में देशभर के डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं। इससे देशभर के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है और मरीज दर-दर भटकने को मजबूर हैं। अस्पतालों में परेशान और रोगग्रस्त मरीजों की चीख-पुकार सुनने वाला कोई नहीं है। इस बीच, पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के एक वरिष्ठ नेता ने पूछा है कि अगर सुरक्षा बलों के जवान भी 2019 में हुए पुलवामा हमले के गुनहगारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए तो डॉक्टर इस पर कैसे जवाब देंगे।

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुणाल घोष ने एक्स पर एक पोस्ट में डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने का अनुरोध करते हुए लिखा है, "मेरा एक सवाल है। पुलवामा मामले में कोई न्याय नहीं हुआ है। इसलिए, अगर जवान भी सीमाओं को छोड़कर 'हमें न्याय चाहिए' कहकर हड़ताल शुरू करते हैं, तो आप इसे कैसे देखेंगे?

पुलवामा में क्या हुआ था?

बता दें कि 14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 40 जवान शहीद हो गए थे, जब विस्फोटकों से लदा एक वाहन सुरक्षाकर्मियों को ले जा रहे वाहनों के काफिले से टकरा गया था। इस हमले के दो हफ्ते के अंदर भारतीय वायुसेना के जेट विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर एयर स्ट्राइक की थी और जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर को ध्वस्त कर दिया था।

इस बीच, सैकड़ों आंदोलनकारी पेशेवर चिकित्सकों, जूनियर रेजिडेन्ट डॉक्टरों और सीनियर रेजिडेन्ट डॉक्टरों ने बुधवार को कोलकाता में CBI दफ्तर से लेकर स्वास्थ्य विभाग के सचिवालय तक रैली निकाली। नवगठित पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फोरम द्वारा बुलाई इस रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों ने ‘हमें न्याय चाहिए’ और 'सुरक्षा नहीं, तो ड्यूटी नहीं।’ जैसे नारे लगाए। इस प्रदर्शन में 31 चिकित्सा संस्थानों के डॉक्टर और विद्यार्थियों ने भाग लिया। बंगाल में लगातार तीन दिनों से डॉक्टर काम नहीं कर रहे हैं।

निशाने पर ममता सरकार

हड़ताली डॉक्टरों पर तृणमूल नेता की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब ममता बनर्जी की अगुआई वाली राज्य सरकार जघन्य अपराध से निपटने के तरीके को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही है। पिछले मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने कोलकाता कांड की संवेदनशीलता को देखते हुए इसकी जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में सख्त टिप्पणी की है कि इस मामले में कोलकाता पुलिस ने कोई खास प्रगति नहीं की है।

कोलकाता से दिल्ली तक हड़ताल

कोलकाता कांड के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी रेजीडेंट डॉक्टर्स पिछले 10 दिनों से हड़ताल पर हैं। अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल के 10वें दिन बुधवार को हड़ताली डॉक्टरों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इस दौरान एक प्रदर्शनकारी डॉक्टर ने कहा, ‘‘यह समझना बहुत जरूरी है कि हम अपने कार्यस्थल पर बेहतर कार्य स्थितियों के लिए लड़ रहे हैं।’’ इन प्रदर्शनों के कारण शहर के कई सरकारी अस्पतालों में वैकल्पिक सेवाएं निलंबित हैं। इस दौरान ‘दोषियों को सजा दो’ और ‘शौक नहीं, मजबूरी है ये हड़ताल जरूरी है’ जैसे नारे गूंजते रहे।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), जीटीबी, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एवं संबद्ध अस्पताल, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और उससे जुड़े अस्पतालों ने मौन प्रदर्शन में भाग लेने का अनुरोध करते हुए अलग-अलग बयान जारी किए हैं। दिल्ली के प्रमुख अस्पतालों के ‘रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (आरडीए) के सदस्य, ‘फेडरेशन आफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (फोरडा) और ‘फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन’ (एफएआईएमए) के साथ मिलकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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