Hindi Newsवायरल न्यूज़ When Bageshwar dham Baba dhirendra krishna reached the court on charges of theft how he saved

जब चोरी के आरोप में अदालत पहुंच गए थे बागेश्वर बाबा, 'चमत्कार' से छूटी थी जान; बताया किस्सा

बागेश्वर धाम के पीठाधीश ने एक किस्सा बयां करते हुए बताया कि किस तरह से एक बार वह चोरी के मामले में अदालत तक पहुंच गए। हालांकि जज के सामने चमत्कार दिखाकर वह बच भी गए।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 6 April 2024 07:58 PM
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बागेश्वर धाम के पीठाधीश धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने चमत्कारों के अलावा बयानों की वजह से भी चर्चा में रहते हैं। हजरत अली को लेकर की गई टिप्पणी के बाद मुस्लिम संगठनों ने उनके खिलाफ पुलिस के पास शिकायत की है। वहीं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने वीडियो जारी कर माफी मांगी है और कहा है कि उनका मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था। धीरेंद्र कृष्ण शात्री अपने दरबार के दौरान कई बार रोचक किस्से भी सुनाते रहते हैं। एक बार उन्होंने बताया था कि किस तरह से चोर का नाम बताने पर वह खुद फंस गए और फिर उन्हें कोर्ट तक चक्कर लगाना पड़ा। 

शास्त्री ने कहा, दरबार में एक बार किसी ने चोरी के बारे में पूछा। इसपर मैंने चोर का नाम बता दिया। अब चोर ने पुलिस के सामने मेरा भी नाम ले लिया और कहा चलो बाबा। कोर्ट में एक मिश्रा जी जज थे। उन्होंने कहा, तुम्हें चोर का नाम कैसे पता था, क्या तुम भी चोरी में शामिल थे? इसपर मैंने कहा, श्रीमान ऐसा ना कहो। हम तो विचार करते हैं तो पता चल जाता है। इसके बाद कोर्ट में परीक्षा हुई। उन्होंने एक डब्बा सामने रखा और पूछा कि इसमें क्या है। 

शात्री ने आगे बताया, इसमें एक सोनाटा की घड़ी है। दो बजकर 12 मिनट पर कांटा है और पीले रंग की है। इसके बाद हम बाइज्जत बरी हो गया और चोर पकड़ा गया। उसने चोरी भी कबूल कर ली। इसके बाद जज साहब भी हमारे चेला हो गए। उन्होंने दावा किया कि जज ने बाद में बताया कि चोर का नाम बताया करो लेकिन माइक पर ना बताया करो। पेपर पर लिखकर दिखा दिया करो और फिर काट दिया करो। ऐसे में कोई तुम्हारा बाल भी बाका नहीं कर पाएगा। तब से हम समझदार हो गए। 

इसी तरह धीरेंद्र कृष्ण शात्री एक और किस्सा बताते हैं और कहते हैं कि एक बार टीईटी ने उन्हें ट्रेन में बिना टिकट पकड़ लिया था। लेकिन जिसने पकड़ा था वही 1100 रुपये देकर गया। एक बार हमारी जेब कट गई। जेब में 1300 रुपये थे और नोकिया का मोबाइल था। एक ट्रेन में एसी कोच में चढ़ गए। हम बाथरूम के पास आकर खड़े हो गए। टीईटी आया और उसने टिकट मांगा। हमने कहा टिकट होती तो यहां खड़े होते। तब हमारी उम्र 14 या 15 साल की थी। टीईटी ने कहा आगे ट्रेन रुकेगी तो जनरल में चले जाना। हमने कहा जनरल में क्यों जाएं। इसके बाद उसने कहा पुलिस को बुलाएंगे। हमने बालाजी से कहा, बेइज्जती करवाओगे। इसके बाद हमने कहा, तुम्हारा नाम अमर सिंह है। उसने कहा, है तो। हमने उसके पिता का नाम बताया। अब तो वह न्यूट्रल हो गया। उसने कहा, तुम्हें कैसे पता। हमने कहा, मुझे यह भी पता है कि तुम्हारी पत्नी का नाम सविता है और तुम्हारी कोई संतान नहीं है। इसके बाद उसने सीट भी दी और 1100 भी देकर गया। 

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