डिप्रेशन के शिकार लोगों के दर्द-ए-दिल की दवा करता है युवक, कहानी सुनने के बाद पैसे भी देता है
एक लड़का वायरल हो रहा है जो अपने हाथ में एक पोस्टर लेकर खड़ा है और उस पर लिखा है कि आप अपनी कहानी बताइए, हम आपको दस रुपये देंगे। यह लड़का लोगों को प्यार से गले भी लगाता है। लड़के ने बकायदा इसके लिए एक टीम बना दी है।
हमारे आसपास तमाम ऐसे लोग मौजूद होते हैं जिनके अंदर काफी कुछ चल रहा होता है और उसे बाहर से पहचाना नहीं जा सकता। ऐसी ही एक अवस्था का नाम अवसाद भी है। अवसाद से गुजरने के लिए लोग काफी कोशिश करते हैं, कई बार लोग अपनी बात किसी को बताना चाहते हैं लेकिन उनके पास कोई रहता नहीं है। सोशल मीडिया पर इन दिनों एक लड़का वायरल हो रहा है जो अपने हाथ में एक पोस्टर लेकर खड़ा है और उस पर लिखा है कि आप अपनी कहानी बताइए, हम आपको दस रुपये देंगे। यह लड़का लोगों को प्यार से गले भी लगाता है। लड़के ने बकायदा इसके लिए एक टीम बना दी है।
लोगों से बात करने का कैंपेन चलाया
दरअसल, इस लड़के को काफी वाहवाही मिल रही है और लोग उसके पास पहुंच रहे हैं। पहले उसने यह कैंपेन पुणे में अकेले ही शुरू किया था, लेकिन अब उसकी एक बड़ी टीम बन चुकी है और कई शहरों में उसके दोस्त लोगों से बात कर रहे हैं और उनकी कहानियां सुन रहे हैं। महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले इस लड़के का नाम राज डगवार है। पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर राज पुणे में एक निजी कंपनी में काम करते हैं। राज की कहानी काफी भावुक है, वे अवसाद यानी डिप्रेशन का शिकार हो चुके हैं।
खुद अवसाद का शिकार हो चुके हैं राज
साल 2019 में राज बेहद खराब दिनों से गुजर रहे थे क्योंकि वे उस समय अवसाद के शिकार हो चुके थे। इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि वे लोगों से बात करेंगे और जो अवसाद में हैं उनकी कहानी सुनेंगे ताकि उनको अवसाद से बाहर लाया जा सके। उन्होंने एक पोस्टर पर लिखा कि मुझे अपनी कहानी बताओ और मैं तुम्हें दस रुपये दूंगा। यह पोस्टर लेकर राज पुणे में एक सड़क के किनारे खड़े हो गए और धीरे-धीरे लोग उनसे मिलते गए। राज कहते हैं कि लोगों के साथ संपर्क स्थापित करने और उनमें विश्वास पैदा करने में उन्हें पूरे चार दिन लग गए थे। उन्होंने कहा कि मैं डरा हुआ भी था लेकिन मुझे बस इतना पता था कि मैं मदद करना चाहता था।
देश के कई शहरों में बन गई टीम
इसके बाद लोग उनके पास आने लगे और अपनी कहानियां सुनाने लगे। राज कहते हैं कि लोगों ने कई बार उनसे रुपये भी नहीं लिए और प्यार से गले भी लगाया। धीरे-धीरे कुछ लोग राज की तरह उनके बगल खड़े होने लगे और उनकी टीम बढ़ती गई। राज का यह कैंपेन अब पुणे से निकलकर दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई, अहमदाबाद और कोलकाता जैसे शहरों में भी पहुंच गया। राज की टीम के लोग लोगों के पास खुद जाने लगे और उनके पॉडकास्ट रिकॉर्ड करने लगे। राज की टीम के लोग यह सब सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं ताकि अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सकें।
अवसाद से निकलने के लिए प्रशिक्षण
राज ने बताया कि समान विचार वाले लोग मेरे पास पहुंचने लगे और मैंने दिसंबर 2021 में 'Listeners Army' का गठन किया। इतना ही नहीं उनके पास अब प्रशिक्षक भी आते हैं और स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करते हैं। वे उनका नामांकन करने से पहले उनका साक्षात्कार भी लेते हैं। उनका कहना है कि औसतन एक शहर में कम से कम दस स्वयंसेवक सक्रिय होते हैं और लगभग 200 लोगों से मिलते हैं। राज का कहना है कि मैं समाज के लिए कुछ करना चाहता हूं और एक ऐसी जगह बनाना चाहता हूं, जहां लोग सुरक्षित रूप से मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात कर सकें।
गले लगने और बात करने के कई वीडियोज वायरल
सोशल मीडिया पर राज और उनकी टीम के तमाम वीडियोज भी मौजूद हैं जिनके माध्यम से यह देखा जा सकता है कि कैसे राज की टीम काम करती है और अपने कैंपेन को आगे बढ़ा रही है। राज द्वारा दिसंबर 2020 में गुमनामी में शुरू हुआ यह कैंपेन अब देशभर में फैल चुका है। उसकी टीम में करीब 225 स्वयंसेवक हैं जो एक नेटवर्क के रूप में काम कर रहे हैं और लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर रहे हैं।
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