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CEO ने कहा हफ्ते में 84 घंटे करो काम, अब मिल रहीं जान से मारने की धमकियां

  • भारतीय मूल के एक सीईओ ने दावा किया है उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने बताया है कि सोशल मीडिया पर अपनी कंपनी में 84 घंटे तक काम होने की बात लिखने के बाद ऐसा हो रहा है।

Deepak लाइव हिन्दुस्तानMon, 18 Nov 2024 02:39 PM
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भारतीय मूल के एक सीईओ ने दावा किया है उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने बताया है कि सोशल मीडिया पर अपनी कंपनी में 84 घंटे तक काम होने की बात लिखने के बाद ऐसा हो रहा है। दक्ष गुप्ता, एआई स्टार्टअप ग्रेप्टाइल के सीईओ हैं। उन्होंने एक वायरल पोस्ट में अपनी कंपनी के इंटेंस वर्क कल्चर का जिक्र किया है। इसमें उन्होंने लिखा है कि उनकी कंपनी में काम सुबह के करीब 9 बजे शुरू होता है। रात 11 बजे और कई तो उससे भी ज्यादा देर तक काम चलता रहता है। दक्ष ने आगे लिखा कि उनके यहां शनिवार को भी काम होता है। इसके अलावा कभी-कभी रविवार को भी काम होता है।

दक्ष गुप्ता ने बताया कि उन्होंने यह बातें कंपनी में इंटरव्यू देने आए कैंडिडेट्स को बताईं। मैंने उनसे कह दिया कि हमारे यहां कोई वर्क-लाइफ बैलेंस नहीं दिया जाता है। उन्होंने आगे लिखा कि हमारे यहां काम का माहौल काफी तनावपूर्ण होता है और खराब काम बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाता है। दक्ष के मुताबिक शुरू-शुरू में उन्हें खराब लगता था, लेकिन अब वह भी मान चुके हैं कि ट्रांसपैरेंसी अच्छी है। दक्ष की यह पोस्ट काफी ज्यादा वायरल हुई थी। इसे एक मिलियन से अधिक लोगों ने देखा था।

सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोगों ने दक्ष की इस पोस्ट पर रिएक्ट किया। साथ ही लोगों ने उनके ऊपर टॉक्सिक वर्क एन्वायरमेंट को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया। कुछ लोगों ने कमेंट में लिखा कि अगर आप इसके बदले में कंपनी को अच्छी पेमेंट देते हो तो ठीक है। नहीं तो यह किसी गुलामी से कम नहीं। तमाम लोगों की आलोचना के बीच गुप्ता ने फिर से पोस्ट लिखी। इसमें उन्होंने बताया कि उन्हें जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं। उन्होंने लिखा कि अब मेरी पोस्ट रेडिट के फ्रंट पेज पर है। मेरे इनबॉक्स में 20 फीसदी मौत की धमकियां आ रही हैं और 80 फीसदी जॉब अप्लीकेशंस।

दक्ष ने यह भी कहा है कि यहां पर ऐसे लोग भी हैं जो हमारे यहां आने से पहले हफ्ते में 20 घंटे और छह दिन काम करते थे। उन्होंने लिखा कि बहुत से लोग इस तरह की नौकरी में वापस भी चले जाएंगे। साथ ही उन्होंने सफाई भी पेश की है। गुप्ता ने लिखा कि हालांकि इस तरह का काम हमेशा नहीं होने वाले। स्टार्टअप के शुरुआती एक-दो साल में इस तरह के काम की जरूरत पड़ती है, क्योंकि तब कंपनी को खड़ा करना होता है।

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