देहरादून पर दोहरी मार, सर्द हवाओं के साथ प्रदूषण ने बढ़ाई टेंशन; IMD ने बताया कब हो सकती है बारिश-बर्फबारी
Uttarakhand Weather: देहरादून में ठंडी हवाएं चलने से मौसम सर्द हो गया है और ठिठुरन बढ़ गई है। साथ ही देहरादून में प्रदूषण भी परेशानी का सबब बन गया है। गुरुवार को एक्यूआई 244 दर्ज किया गया।
Uttarakhand Weather: देहरादून में ठंडी हवाएं चलने से मौसम सर्द हो गया है और ठिठुरन बढ़ गई है। साथ ही देहरादून में प्रदूषण भी परेशानी का सबब बन गया है। गुरुवार को एक्यूआई 244 दर्ज किया गया। देहरादून में दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री सेल्सियस नीचे पहुंच गया है। गुरुवार को दून में अधिकतम तापमान 17.3 एवं न्यूनतम तापमान 7.4 डिग्री सेल्सियस रहा।
मौसम विभाग के निदेशक डॉ. बिक्रम सिंह के अनुसार शुक्रवार को हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर में घना कोहरा, देहरादून, पौडी एवं नैनीताल के मैदानी इलाकों में हल्का कोहरा छाने की संभावना है। 11 और 12 जनवरी को प्रदेशभर में बारिश एवं बर्फबारी की संभावना है। इससे प्रदूषण से राहत मिल सकती है। वहीं, देहरादून में कूड़ा जलने की वजह से प्रदूषण का स्तर खराब श्रेणी में पहुंच गया है। गुरुवार को एक्यूआई 244 दर्ज किया गया।
देहरादून के दिल्ली बनने में देर नहीं
दून में बीते तीन दिनों से वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से खराब श्रेणी में बना हुआ है। आगे भी यही हालात रहे तो दून को दिल्ली जैसा बनते देर नहीं लगेगी। जिस दून घाटी की खूबसूरत वादियों में लोग सुकून की तलाश में आते थे, वहां अब वायु प्रदूषण निरंतर बढ़ता जा रहा है। कुछ महीने पहले गाजियाबाद-मेरठ जैसे शहरों से ज्यादा एक्यूआई दून में दर्ज किया गया था। लेकिन, न तो जनता वायु प्रदूषण को लेकर जागरूक है और ना ही यह मुद्दा बनता है।
जनप्रतिनिधि और सरकारी सिस्टम भी संजीदगी नहीं दिखाते। दून में एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार तीसरे दिन खराब श्रेणी में रहा। पीएम-2.5 जैसे खतरनाक कणों का घनत्व देहरादून की आबोहवा में बढ़ गया है। सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को देहरादून का एक्यूआई 244 दर्ज किया गया। बुधवार को 260 और इससे पहले मंगलवार को एक्यूआई 261 दर्ज किया गया था। इससे सांस एवं दिल के रोगियों समेत ज्यादा देर ठंड में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
विशेषज्ञों ने बताए कारण, सुझाव भी दिए
एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा, 'वायु प्रदूषण पर जागरूकता जरूरी है। जनता जागरूक होगी तो नेता भी सुनेंगे। पर, शहरीकरण के चक्कर में पेड़ कट गए, लोकसभा में रखी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2008 से 2023 के बीच हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड में सर्वाधिक 14 हजार हेक्टेयर जंगल कटे। खेती भी विलुप्त हो रही है। कंडम गाड़ियां चलाई जा रही हैं, प्लास्टिक कचरा जलाया जा रहा है, जंगलों में आग सबसे ज्यादा है। सिस्टम को समझना पड़ेगा कि यह मुद्दा आमजन की सेहत से जुड़ा है। निकाय चुनाव में प्रदूषण पर चर्चा होनी चाहिए। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा मिले।'
दून यूनिवर्सिटी में पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर डॉ. विजय श्रीधर ने कहा, 'शहर में वायु प्रदूषण के मुख्य कारण वाहनों का धुआं, कंस्ट्रक्शन और होटल-ढाबों में जलने वाले तंदूर भी हैं। इसके अलावा छोटे मोटे उद्योग और खुले में कूड़ा जलाया जाना भी प्रदूषण की बड़ी वजह है। इसकी रोकथाम के लिए पुराने और डीजल वाहनों को बंद करने के साथ होटल एवं ढाबों में लकड़ी और कोयले की जगह इलेक्ट्रिक तंदूर आदि का प्रयोग किया जा सकता है। सरकार को इसकी सिफारिश भी की गई है।'
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