उत्तराखंड के पहाड़ों में भी पर्यटक जल्द लेंगे ट्रेन के सफर का मजा, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट पर 5 पुल तैयार
- 125 किलोमीटर की यह रेल परियोजना उत्तराखंड के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। कोरोनाकाल और पहाड़ की खुदाई में परीक्षण से इतर स्थिति भी देरी का कारण बनी है। बताया कि परियोजना निर्माण के साथ ही राज्य में निगम जनहित से जुड़े विकास कार्यों को भी कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के 19 में पांच बड़े पुल बनकर तैयार हो गए है। शेष 14 पुलों का निर्माण कार्य 2025 तक पूरा होगा। 80 फीसदी सुरंगों का कार्य भी आरवीएनएल ने पूरा करने का दावा किया है।
फिलहाल निगम ट्रैक डिजाइनिंग के काम में जुटा है। जनवरी 2025 से ट्रैक बिछाने का कार्य भी शुरू करने की तैयारी है। यह जानकारी शुक्रवार को ऋषिकेश में हरिद्वार बाईपास मार्ग स्थित रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के कार्यालय में रेल विकास निगम के मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत यादव ने प्रेसवार्ता के दौरान दी। उनकी मानें तो वर्ष 2026 के दिसंबर तक ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के लिए रेल दौड़ने लगेगी।
उन्होंने परियोजना की प्रगति को साझा करते हुए बताया कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों की चुनौतियों के बीच परियोजना का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। इसमें अभी तक 28 टनल का ब्रेक थ्रू कर लिया गया है, जबकि 12 टनल का ब्रेक थ्रू दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है।
सीपीएम ने बताया किt डीजीएम ओपी मालगुड़ी, भूपेंद्र सिंह, एजीएम विजय डंगवाल, पमीर अरोड़ा, अजय कुमार, जेसीएम सुव्रत भट्ट आदि शामिल रहे।
चार जिलों को दी गई मुआवजा राशि
रेल परियोजना में राज्य के चार जिलों टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और चमोली में निजी भूमि भी जद में आई है। मुख्य सचिव की ओर से गठित समिति के माध्यम से आरवीएनएल के सीपीएम अजीत यादव ने सभी प्रभावितों को शत-प्रतिशत मुआवजा उपलब्ध कराने का दावा किया है। इसमें 21 से ज्यादा गांव के इलाके शामिल हैं। सीपीएम ने बताया कि फिलहाल मुआवजे के रूप में निगम पर किसी की कोई देनदारी बाकी नहीं है।
जलस्रोत होंगे रिचार्ज
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के दायरे में चार जल स्रोत भी डिस्चार्ज हो गए हैं। इन स्रोतों को रिचार्ज करने के लिए भी आरवीएनएल ने कार्य योजना तैयार की है। जलस्रोतों का पानी सुरंग के भीतर आ रहा है। परीक्षण के बाद यह सामने आया है कि सुरंग में पानी का रिसाव रोकने के साथ ही फिर से प्रभावित जलस्रोत पानी उगलने लगेंगे। वहीं, सुरंगों के आसपास के एरिया और डंपिंग यार्ड में जमा मलबे का निस्तारण कर यहां ग्रीन कवर करने का प्लान भी परियोजना में शामिल किया गया है।
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