वाह रे शिक्षा विभाग! महिला अतिथि शिक्षकों को न तो सीसीएल और मेटरनिटी लीव की सुविधा भी नहीं
अतिथि शिक्षक के रूप में पिछले पांच साल से दुर्गम क्षेत्र के स्कूलों में कार्यरत महिला अतिथि शिक्षकों ने भी आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी। महिला शिक्षकों को सीसीएल और मेटरनिटी लीव की सुविधा भी नहीं है।
अतिथि शिक्षक के रूप में पिछले पांच साल से दुर्गम क्षेत्र के स्कूलों में कार्यरत महिला अतिथि शिक्षकों ने भी आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी। महिला शिक्षकों का का कहना है कि अतिथि शिक्षकों को पद से न हटाने के सरकारी वादों के बावजूद अतिथि शिक्षकों की नौकरियां सुरक्षित नहीं हैं। यदि सरकार ने अतिथि शिक्षकों को उनके पदों पर स्थायी न किया तो शिक्षा विभाग और सरकार के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।
देवप्रयाग में कार्यरत अतिथि शिक्षक उषा भट्ट का कहना है कि महिलाओं को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थायी शिक्षक की नियुक्ति पर हटने वाले अतिथि शिक्षक को महीनों नई जगह समायोजन का इंतजार करना पड़ता है। इस अवधि में उन्हें मानदेय तक नहीं मिलता।
न ही सीसीएल की सुविधा मिल रही है और न ही मेटरनिटी लीव। भट्ट ने कहा कि अब समायोजन की प्रक्रिया का बहिष्कार किया जाएगा। यदि सरकार अतिथि शिक्षकों को उनके पदों पर स्थायी करने का निर्णय नहीं लेती तो आमरण अनशन शुरू किया जाएगा। अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री दौलत जगूड़ी ने कहा कि शिक्षा मंत्री ने कई बार आश्वासन दिया है कि प्रमोशन, तबादला और नई नियुक्तियों से अतिथि शिक्षकों की सेवाओं को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।
लेकिन फिर भी कई अतिथि शिक्षक प्रभावित हो गए हैं। उनका समायोजन भी नहीं हो पाया है। जगूड़ी ने कहा कि, अब आयोग से होने वाली नियुक्तियों से भी अतिथि शिक्षक प्रभावित होंगे। उनके अपने तैनाती स्थल से हटना पड़ेगा। अतिथि शिक्षकों के भविष्य की रक्षा के लिए सरकार को तत्काल ठोस व्यवस्था करनी चाहिए।
मालूम हो कि वर्तमान में राज्य के सरकारी माध्यमिक स्कूलों में एलटी और प्रवक्ता कैडर के 3500 से ज्यादा रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं। दूसरी तरफ, महानिदेशक-शिक्षा बंशीधर तिवारी सभी सीईओ को निर्देश दे चुके हैं कि स्थायी शिक्षक की नियुक्ति होने पर वहां से हटने से वाले अतिथि शिक्षक का निकटवर्ती रिक्त पद वाले स्कूल में तत्काल समायोजन कर दिया जाए।
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