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भारत के हाथी नेपाल में जाकर क्यों मचाने लगे उत्पात, मशाल जलाकर रतजगा कर रहे लोग

हाथियों के आतंक से परेशान नेपाली नागरिकों ने सीमा पर नाकेबंदी की मांग की है। उनका कहना है कि सीमा पर जिस स्थान से हाथी नेपाल की आबादी की ओर आने लगे हैं उस स्थान को बंद किया जाए।

Devesh Mishra संतोष जोशी, चम्पावतMon, 4 March 2024 11:17 PM
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इन दिनों हाथी भारतीय सीमा पार कर नेपाल पहुंचने लगे हैं। इससे भारत की तरफ तो थोड़ी राहत है, लेकिन नेपाल में किसानों के लिए फसलें बचा पाना मुश्किल हो गया है। फसलों की रखवाली के लिए नेपाली नागरिक रात भर जाग रहे हैं। कॉरिडोर बदलने के कारण हाथी भारत से नेपाल की तरफ जा रहे हैं और वहां उत्पात मचा रहे हैं।

भारत-नेपाल के बीच हाथियों के आवागमन के लिए टनकपुर ब्रह्मदेव दशकों पुराना कॉरिडोर है। अतिक्रमण के कारण हाथी इस रास्ते को धीरे-धीरे छोड़ने लगे हैं। बार-बार रास्ता भटकने के कारण हाथी चिड़चिड़े हो रहे हैं और आबादी में प्रवेश कर फसलों के साथ घरों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। बीते दिनों भारत में टनकपुर के गैड़ाखाली, उचौलीगोठ, बूम से लगे इलाकों के साथ ही बनबसा के पचपकरिया, गुदमी क्षेत्र में हाथियों के आतंक से लोग परेशान थे। अब नेपाल के लोगों पर मुसीबत आई है।

नेपाल के कंचनपुर में मशाल जलाकर रतजगा कर रहे लोग
टनकपुर से होकर कंचनपुर के आबादी क्षेत्र में पहुंच रहे हाथियों ने नेपाली नागरिकों की गेहूं की खेती को बर्बाद कर दिया है। कंचनपुर के काश्तकार रमेश भट्ट, बडुवाल टोल इलाके के सुनील छेत्री, गगन जोशी, रमेश सुनार ने बताया कि भारत से आ रहे हाथियों ने फसलों को बर्बाद कर उनकी आर्थिकी को काफी नुकसान पहुंचा दिया है। वे लोग रात भर फसल की रखवाली को आग की मशाल के साथ जागे रहते हैं।

नाकेबंदी की मांग कर रहे नेपाली नागरिक
हाथियों के आतंक से परेशान नेपाली नागरिकों ने सीमा पर नाकेबंदी की मांग की है। उनका कहना है कि सीमा पर जिस स्थान से हाथी नेपाल की आबादी की ओर आने लगे हैं उस स्थान को बंद किया जाए और पुराने कॉरिडोर की ओर हाथियों की मूवमेंट कराई जाए।

भारत से लेकर नेपाल तक अतिक्रमण
हाथियों का शिवालिक कॉरिडोर भारत से लेकर नेपाल तक सीमा पर अतिक्रमण की भेंट चढ़ रहा है। सीमावर्ती इलाकों में मानवीय गतिविधियों ने हाथियों को शिफ्ट होने पर मजबूर कर दिया है। दोनों देशों के लोगों ने हाथियों के मार्ग में कच्चा निर्माण कर दिया है। जिस कारण हाथियों को आबादी की ओर रुख करना पड़ रहा है। इसी कारण पहाड़ों तक हाथी पहुंच रहे हैं।

कंचनपुर के व्यापारी नेता एमपी जोशी ने बताया, 'हाथियों के पुराने कॉरिडोर पर दोनों देशों के नागरिकों ने अतिक्रमण किया है। जिस कारण हाथी आबादी की ओर आ रहे हैं। जंगली जानवरों की गतिविधियों के साथ छेड़छाड़ का ही यह परिणाम है। इसे समय रहते अभी भी बचाया जा सकता है। कुछ महीने पहले हुई दोनों देशों के प्रतिनिधियों की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया गया था।'

देहरादून के डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिक डॉक्टर हरीश गुलेरिया ने बताया, 'हाथियों का आबादी की ओर आने का कारण इंसानों की जंगलों में गतिविधियां बढ़ना है। पहले ऐसा नहीं होता था। जबकि कुछ समय से लगातार ऐसा हो रहा है। कॉरिडोर बचाने के लिए डब्ल्यूआईआई योजना तैयार कर रहा है। दोनों देशों के बीच दशकों से कॉरिडोर है। हाथियों से बचने के लिए उनके घरों में गतिविधियां कम करनी होंगी।' 

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