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UOU:साइन लैंग्वेज में भी डिप्लोमा-सर्टिफिकेट कोर्स कर सकेंगे छात्र, ये होगा फायदा

ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ओडीएल) के क्षेत्र में राज्यभर के विश्वविद्यालयों के लिए मिसाल पेश कर रहा उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (यूओयू) अब साइन लैंग्वेज (सांकेतिक भाषा) को भी पाठ्यक्रम में शामिल...

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान टीम, देहरादून, Mon, 9 Aug 2021 11:39 AM
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ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ओडीएल) के क्षेत्र में राज्यभर के विश्वविद्यालयों के लिए मिसाल पेश कर रहा उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (यूओयू) अब साइन लैंग्वेज (सांकेतिक भाषा) को भी पाठ्यक्रम में शामिल करेगा। इसके लिए विवि की ओर से जल्द ही प्रस्ताव भारतीय पुनर्वास परिषद और भारतीय सांकेतिक भाषा प्रशिक्षण संस्थान को भेजा जाएगा।    

दिव्यांगजनों की शिक्षा के लिए वर्तमान में यूओयू में विशिष्ट शिक्षा के तहत बीएड विषय संचालित किया जा रहा है। इसी क्रम में साइन लैंग्वेज को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। यूओयू से प्राप्त जानकारी के अनुसार साइन लैंग्वेज में डिप्लोमा कोर्स के लिए भारतीय पुनर्वास परिषद की मंजूरी जरूरी होती है।

इस संबंध में हुई वार्ता के बाद परिषद ने यूओयू से साइन लैंग्जेव के डिप्लोमा कोर्स के लिए प्रस्ताव मांगा है। जबकि, भारतीय सांकेतिक भाषा प्रशिक्षण संस्थान दिल्ली की ओर से भी साइन लैंग्वेज के ऑनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स का प्रस्ताव विवि से मांगा गया है। फिलहाल विवि का विशिष्ट बीएड विभाग दोनों प्रस्ताव तैयार करने में जुट गया है।

करियर के लिए मुफीद रहेंगे कोर्स:यदि आपके अंदर सेवा भाव की भावना है और इसे सही जगह लगाना चाहते हैं तो साइन लैंग्वेज कोर्स का विकल्प बेहतर रहेगा। इसके डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स के जरिए आप मूकबधिरों के इशारों को आसानी से समझ सकते हैं। साइन लैंग्वेज के बाद इंटरप्रेटर बनने की राह खुलती है। 

गढ़वाली-कुमाऊंनी पाठ्यक्रम की किताबों की छपाई शुरू:यूओयू इसी सत्र से स्थानीय भाषा के तहत गढ़वाली ओर कुमाऊंनी बोली पर आधारित पाठ्यक्रम भी शुरू करने जा रहा है। इसके लिए सेलेबस ओर ई-कंटेंट तैयार कर लिया गया है। किताबों की छपाई भी शुरू हो गई है। 

नई शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा समेत कई अन्य विषय भी शामिल किए गए हैं। इसी के मद्देनजर विवि द्वारा गढ़वाल-कुमाऊंनी पाठ्यक्रम शुरू करने का मन बनाया गया है। साइन लैंग्वेज पर आधारित डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स का भी प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। 
प्रो. ओपीएस नेगी, कुलपति, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय 

 

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