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UOU:प्रोफेसरों की नियुक्तियों के आरक्षण में जमकर हो रहा खेल, मनमाने ढंग से रोस्टर तैयार 

उत्तराखंड मुक्त विवि में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के 37 पदों पर नियुक्ति में तमाम खामियां सामने आ रही हैं। आरोप है कि विवि स्तर से हो रही इन नियुक्तियों में आरक्षण का रोस्टर...

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान टीम, हल्द्वानी | जहांगीर राजू, Wed, 16 Dec 2020 11:57 AM
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उत्तराखंड मुक्त विवि में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के 37 पदों पर नियुक्ति में तमाम खामियां सामने आ रही हैं। आरोप है कि विवि स्तर से हो रही इन नियुक्तियों में आरक्षण का रोस्टर मनमाने ढंग से तैयार किया गया है। 

यूओयू में 2015 में प्राध्यापकों के 25 पदों पर भर्ती को विज्ञप्ति जारी की गई थी जिस पर नियुक्ति प्रक्रिया संपन्न नहीं हो पाई। 2019 में विवि ने प्राध्यापकों के 37 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की। इसके लिए विवि द्वारा बनाई कमेटी ने आरक्षण का रोस्टर तय किया।

नैनीताल हाईकोर्ट में अधिवक्ता ललित बेलवाल का आरोप है कि रोस्टर बनाने में यूजीसी के नए मानकों और राज्य सरकार के नियमों की अनदेखी की गई। इन नियुक्तियों में 2015 में की गई आरक्षण की व्यवस्था को बदलकर नए रोस्टर में कैमिस्ट्री और लाइब्रेरी साइंस के चारों पदों को आरक्षित कर दिया।

इसी तरह असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों को आरक्षण रोस्टर के अलग-अलग मानक तय किए गए हैं। जबकि तीनों पदों पर एक ही मानक होने चाहिए।

मनमाने ढंग से तय आरक्षण रोस्टर में 2015 की विज्ञप्ति में शामिल मनोविज्ञान एवं ज्योतिष शास्त्र में असिस्टेंट प्रोफेसर के दोनों पद खत्म कर दिए हैं। राजनीति शास्त्र में प्रोफेसर का सामान्य पद ओबीसी के लिए आरक्षित कर दिया तो समाज शास्त्र के एससी के लिए आरक्षित प्रोफेसर के पद को सामान्य कर दिया।

वाणिज्य में पहले महिला के लिए रिजर्व प्रोफेसर के पद को ओबीसी के लिए रिजर्व कर दिया गया है। होटल मैनेजमेंट के एससी को आरक्षित पद को एसटी आरक्षित में बदल दिया है।

विधि में प्रोफेसर के सामान्य वर्ग पद को अब एससी के लिए आरक्षित कर दिया गया है। इसके चलते इस संबंध में मैंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

विश्वविद्यालय में चल रही नियुक्ति प्रक्रिया में हाईकोर्ट के निर्देश का पूरा पालन किया जा रहा है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी इस मामले में कोर्ट का जो फैसला आएगा, उसका पालन किया जाएगा। 
प्रो.ओपीएस नेगी, कुलपति, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय

 

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