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UOU:प्राध्यापकों की नियुक्ति सवालों के घेरे में आई, महिला आरक्षण के 30 फीसदी पद गायब 

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (यूओयू) में वर्तमान में चल रही प्राध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया फिर सवालों के घेरे में आ गई है। विवि से इस बार जारी नियुक्ति की विज्ञप्ति  में 30% महिला आरक्षण के...

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान टीम, हल्द्वानी | जहांगीर राजू, Tue, 15 Dec 2020 01:52 PM
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उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (यूओयू) में वर्तमान में चल रही प्राध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया फिर सवालों के घेरे में आ गई है। विवि से इस बार जारी नियुक्ति की विज्ञप्ति  में 30% महिला आरक्षण के पदों को गायब कर दिया गया।

विवि के किसी भी विभाग में सामान्य महिला के लिए कोई पद आरक्षित नहीं किया गया है। लिहाजा, विवि की नियुक्ति प्रक्रिया में महिलाओं के लिए आरक्षण का मुद्दा अब बेमानी साबित हो रहा है।

मुक्त विवि ने 25 अगस्त 2015 को प्राध्यापकों के 25 पदों पर नियुक्ति को विज्ञप्ति जारी की थी। वाणिज्य, हिंदी, विधि, गणित और पत्रकारिता के 1-1, अर्थशास्त्र के दो पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए थे।

एससी महिला का एक पद भी था। विवि की कोताही के चलते इन पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी थी। अब विवि की ओर से प्राध्यापकों के 37 पदों के लिए जारी नियुक्ति प्रक्रिया में महिला आरक्षण के 30% पदों को खत्म कर दिया गया है।

विवि ने 21 सितंबर 2019 को विज्ञप्ति जारी की थी। इसमें एससी-एसटी, ओपीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण की व्यवस्था तो है, पर महिला आरक्षण के पद गायब कर दिए गए।

सूत्रों ने बताया कि कई पदों पर चहेतों को नियुक्ति दिलाने के लिए महिला आरक्षण के पद समान्य घोषित करके महिला अभ्यर्थियों के साथ धोखा किया गया। इसके चलते कई महिला अभ्यर्थी नियुक्तियों के लिए आवेदन नहीं कर सकीं।

रोस्टर में बदलाव से पद घोषित नहीं किए
नए नियमों के चलते आरक्षण के रोस्टर में आए बदलाव के कारण विज्ञप्ति में महिला आरक्षण के पदों को घोषित नहीं किया गया। नियुक्ति प्रक्रिया में इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि विवि में रिक्त पदों पर 30% महिलाओं की नियुक्ति हो जाए।
प्रोफेसर ओपीएस नेगी, कुलपति-यूओयू

जरूरत पड़ी तो सदन में उठाएंगे मुद्दा: इंदिरा
यूओयू में चल रही प्राध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया में महिला आरक्षण के 30% पद गायब करना गंभीर विषय है। महिलाओं के आंदोलन के दम पर बने उत्तराखंड में महिलाओं की उपेक्षा चिंता का विषय है। जरूरत पड़ी तो इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया जाएगा। 
डॉ. इंदिरा हृदयेश, नेता प्रतिपक्ष 

 

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