दोहरे मानक: यूपी-हरियाणा को छूट, उत्तराखंड के ट्रांसपेार्टर पर प्रतिबंध, जानें मामला
हर राज्य में अपने राज्य के कारोबारियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने की कोशिश करता है। लेकिन उत्तराखंड में परिवहन सेक्टर में उल्टी गंगा बह रही है। राज्य में रजिस्टर्ड माल वाहक वाहनों को 16 टन से...
हर राज्य में अपने राज्य के कारोबारियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने की कोशिश करता है। लेकिन उत्तराखंड में परिवहन सेक्टर में उल्टी गंगा बह रही है। राज्य में रजिस्टर्ड माल वाहक वाहनों को 16 टन से ज्यादा वजह लेकर आवाजाही की अनुमति नहीं है।
जबकि दूसरे राज्यों के वाहन केवल नेशनल परमिट के आधार पर ही 18 से 20 टन तक माल ढुलाई कर रहे हैं। इसी प्रकार राज्य के वाहन चालकों के लिए पहाड़ी रूट पर सफर करने के लिए एक अतिरिक्त हिल लाइसेंस लेना भी जरूरी है।
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री आदेश सैनी सम्राट कहते हैं, जब अपने ही राज्य में दोहरे मानकों में पिसना है तो भला ट्रांसपेार्टर अपने वाहनों का दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड क्यों न कराएंगे? सरकार को चाहिए कि तत्काल इस दोहरी व्यवस्था को खत्म करे। ट्रांसपोर्ट कारोबार पिछले काफी समय से इस मुद्दे को उठाते आ रहे हैं।
1.व्यवस्था:
राज्य में रजिस्टर्ड होने वाले मालवाहक वाहनों को केवल 16 टन वजन तक ही ढुलाई की अनुमति है। राज्य में रजिस्ट्रेशन कराने पर वाहन मालिक को पंद्रह हजार रुपये नेशनल परमिट की फीस देनी होती है। और हिल परमिट के रूप में अलग से अनुमति लेनी होती है। इसके लिए भी पांच साल के छह हजार रुपये देने होते हैं। परमिट जारी करते वक्त ही वाहन की वजन क्षमता भी दर्ज कर दी जाती है।
पर, दूसरे राज्यों में ऐसा नहीं है। वहां नेशनल परमिट के आधार पर वाहन पूरे देश में चल सकता है और वो भी 18 टन वजन के साथ। राज्य के ट्रांसपेार्टर की पीड़ा यही है कि जब उत्तराखंड का वाहन पहाड़ी रूट पर चलता है उसे पर कई कायदे-कानून लाद दिए जाते हैं। जबकि यूपी, हरियाणा समेत दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों पर वजन की कोई सीमा तय नहीं है।
2. वजह:
वजन की दोहरी व्यवस्था लोनिवि और परिवहन विभाग के बीच फंसी है। राज्य में लोनिवि के कई पुलों की क्षमता अधिक वजन उठाने लायक नहीं है। इसलिए लोनिवि पहाडी रूट पर 16 टन से ज्यादा वजन वाले वाहनों को चलने की पर सहमति नहीं देता। पिछले दिनों परिवहन सचिव शैलेश बगौली ने लोनिवि से उनके कमजोर क्षमता वाले पुलों का ब्यौरा मांगा था। इससे अधिक क्षमता वाले पुलों के रूट पर राज्य के वाहनों को भी 16 टन से अधिक भार ढुलाई की अनुमति दी जा सके। लेकिन लोनिवि ने अधिकारियों ने तीन महीने बाद भी रिपोर्ट नहीं दी।
इन दोहरे मानकों की वजह से राज्य के ट्रांसपोर्टर को दूसरे राज्यों में अपने नए वाहन रजिस्टर्ड करने को मजबूर होना पड़ता है। इससे राज्य को भी तो राजस्व का नुकसान हो रहा है। सरकार को इस पहलू पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
आदेश सम्राट सैनी, महामंत्री, ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस
इस विषय पर परिवहन विभाग विचार कर रहा है। लोनिवि से पुलों की क्षमता के बाबत रिपोर्ट मांगी गई है। इस रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है। पुल क्षमता तय होने से वजह की समस्या का हल निकाला जा सकेगा।
एसके सिंह, उपायुक्त-परिवहन
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