बाघों के लिए देश में सबसे सुरक्षित हैं उत्तराखंड के जंगल,बाघ संरक्षण प्राधिकरण की रिपोर्ट में खुलासा
उत्तराखंड का जंगल बाघों के लिए मुफीद होता जा रहा है। जबकि देश में बाघों की संख्या के मामले में पहले पायदान पर स्थित मध्यप्रदेश में बाघों का कुनबा बढ़ने के साथ ही हो रही मौतें संरक्षण को लेकर चिंता...
उत्तराखंड का जंगल बाघों के लिए मुफीद होता जा रहा है। जबकि देश में बाघों की संख्या के मामले में पहले पायदान पर स्थित मध्यप्रदेश में बाघों का कुनबा बढ़ने के साथ ही हो रही मौतें संरक्षण को लेकर चिंता बढ़ाने लगी हैं। यही स्थिति दूसरे स्थान पर स्थित कर्नाटक व चौथे नंबर के महाराष्ट्र राज्य की भी है। दोनों राज्यों में बीते दस सालों में बाघों की मौत का आंकड़ा चौंकाने वाला है।
इस मामले में उत्तराखंड राज्य के आंकड़े बेहतर हैं। यहां बीते 10 साल में 96 बाघों की ही मौत दर्ज की गई है जो कि, बाघ प्रबंधन पर काम कर रहे अफसरों की बेहतर कार्यप्रणाली को दर्शा रहा है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण हर चार साल में बाघों की गणना करता है। साल 2021 में जारी विभागीय रिपोर्ट के अनुसार 10 साल में मध्यप्रदेश में 244, महाराष्ट्र में 168, कर्नाटक में 138 और उत्तराखंड में 96 बाघों की मौत हुई है। विशेषज्ञ ऐजी अंसारी की मानें तो मध्यप्रदेश में सबसे अधिक 526 बाघ हैं।
दूसरे स्थान पर कर्नाटक में 524 और तीसरे स्थान काबिज उत्तराखंड में बाघों की संख्या 442 है। वहीं महाराष्ट्र में 312 बाघ हैं। अंसारी ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार बाहरी राज्यों में बाघों की अधिक मौतें हुई हैं। जबकि उत्तराखंड में बाघ बढ़ने के साथ ही मौतें कम होना बाघ संरक्षण का काम बेहतर ढंग से होना प्रदर्शित कर रहा है।
आपसी संघर्ष व शिकार बन रहा मौत की वजह
देश में बाघों का कुल कुनबा 2967 है। उत्तराखंड के कॉर्बेट सहित अन्य जंगलों में भी बाघों का कुनबा बढ़ा है। कॉर्बेट पार्क के डायरेक्टर राहुल ने बताया कि कॉर्बेट में बाघों की संख्या अधिक है। इससे उनमें आपसी संघर्ष होता है और इसमें कई बाघों की मौत हो जाती है। विशेषज्ञ ऐजी अंसारी ने बताया कि खाल व अन्य अंगों के लिए तस्कर भी बाघ का शिकार करते हैं। उत्तराखंड में तस्करी पर काफी हद तक अंकुश लगाने में कामयाबी मिली है।
ड्रोन और थर्मल कैमरों की निगरानी में जंगल
विशेषज्ञों की माने तो प्रदेश में बाघों का कुनबा बढ़ना और मौत के आंकड़ों में गिरावट का प्रमुख कारण कॉर्बेट चल रही बाघ संरक्षण की योजनाएं भी हैं। तीन साल पहले कॉर्बेट में ड्रोन फोर्स, 30 साल पहले थर्मर कैमरे लगाए गए। सालों से हाथियों के जरिए हो रही गश्त भी बाघ संरक्षण को मजबूत बना रही है।
उत्तराखंड में बाघों के संरक्षण के लिए काम किया जा रहा है। कॉर्बेट में ड्रोन, हाथी गश्त आदि के जरिए बाघों की सुरक्षा हो रही है। इससे बाघ काफी हद तक सुरक्षित है। कॉर्बेट में बाघों का बढ़ना अधिकारियों और कर्मचारियों की मेहनत का परिणाम है।
राहुल, निदेशक कॉर्बेट
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