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उत्तराखंड में HSRP की जगह पुरानी नंबर प्लेट लगाकर चल रहे लाखों वाहन

केंद्र सरकार ने 2012 में वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (एचएसआरपी) अनिवार्य की थी। पुरानी प्लेट को बदलकर एचएसआरपी लगाने के लिए दो साल का वक्त दिया गया था। उत्तराखंड में यह अवधि 2016 तक बढ़ाई गई...

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान टीम, देहरादून, Fri, 20 Nov 2020 12:41 PM
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केंद्र सरकार ने 2012 में वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (एचएसआरपी) अनिवार्य की थी। पुरानी प्लेट को बदलकर एचएसआरपी लगाने के लिए दो साल का वक्त दिया गया था। उत्तराखंड में यह अवधि 2016 तक बढ़ाई गई थी। अब पुरानी नंबर प्लेट अवैध हो चुकी हैं। बावजूद इसके प्रदेश में लाखों वाहन पुरानी नंबर प्लेट के साथ चल रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार करीब सात लाख वाहनों पर अभी एचएसआरपी लगनी बाकी है। हिन्दुस्तान ने पड़ताल की तो यह तस्वीर उभर कर आई...

हाईिसक्योरिटी नंबर प्लेट (एचएसआरपी)
एचएसआरपी एल्युमीनियम की बनी प्लेट होती है। इसमें एक क्रोमियर आधारित होलोग्राम होता है। इन प्लेट में वाहन मालिक और वाहन का पूरा ब्योरा कोड में दर्ज होता है। इन प्लेट के साथ छेड़छाड़ करना मुश्किल है। इसकी सहायता से वाहन को ट्रैक करना भी आसान होता है।

गढ़वाल मंडल:दून में १२ लाख में से पांच लाख पर ही एचएसआरपी 
देहरादून। देहरादून में 12 लाख वाहन पंजीकृत हैं। केवल पांच लाख दो हजार 321 वाहनों पर एचएसआरपी लग पाई है। रोजाना 50 से 60 पुराने वाहनों पर एचएसआरपी लगाई जा पा रही है।

इस सुस्त रफ्तार की वजह से वाहन मालिक काफी परेशान हैं। ऋषिकेश सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय में 2005 से 2012 तक के करीब 17 हजार वाहन ऐसे हैं, जिनमें हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं लगी है। हालांकि प्रतिदिन 100 से अधिक सिक्योरिटी प्लेट बन रही है। 

रुड़की  एआरटीओ कार्यालय से एक दिन में 60 हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट वाहन कंपनियों को भेजी जा रही है। एआरटीओ प्रवर्तन ज्योति शंकर मिश्रा ने बताया कि वाहनों पर अब कंपनी की ओर से हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाई जाती है।

पूरे दस्तावेजों का सत्यापन होने के बाद नंबर प्लेट कार्यालय से कंपनी को सौंप दी जाती है। बताया कि पुराने मामले पेंडिंग नहीं है।हरिद्वार में 2012 से ही हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट वाहनों पर लगाई जा रही हैं। बीते डेढ़ वर्ष से यह प्लेट वाहन बेचने वाली कंपनी ही बनवाकर दे रही है। पौड़ी में हर दिन 10 से लेकर 12 हाईिसक्योरिटी प्लेट बन रही हैं। 

कुमाऊं मंडल:हजारों लोगों ने वाहनों पर नहीं लगाई नंबर प्लेट
हल्द्वानी। हल्द्वानी आरटीओ ऑफिस में रोजाना 25 से 30 लोग अपने वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने आते हैं। जिले में 100 फीसदी व्यावसायिक वाहनों में हाईिसक्योरिटी नंबर प्लेट लगाई जा चुकी है।

जबकि, 6000 ऐसे वाहन स्वामी भी हैं, जिन्होंने फीस जमा कराने बाद भी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने नहीं पहुंचे। नए वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट शोरूम से लगाए जाते हैं।

बागेश्वर में एआरटीओ केसी पलड़िया ने बताया कि जिले में अब तक आठ हजार वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवा दी गई है। पांच हजार वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगानी शेष है।

200 वाहनों के कागजात आदि पूर्ण नहीं होने के कारण नंबर प्लेट लगाने लगाने का काम लंबित हो रहा है। काशीपुर और रुद्रपुर एआरटीओ ऑफिस में रोजाना 50 से 60 लोग वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने आते हैं।

काशीपुर में ढ़ाई हजार ऐसे वाहन हैं, जिन्होंने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बनवाई है लेकिन अपने वाहनों पर नहीं लगाई है। अल्मोड़ा आरटीओ ऑफिस में प्रतिदिन 15-20 वाहन चालक हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने आते हैं। 

कैसे लगती है एचएसआरपी
देहरादून।
आपको ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट लेना होगा। अप्वाइंटमेंट मिलने के बाद वाहन की आरसी और बीमा की कॉपी लेकर आरटीओ दफ्तर जाना होगा। यहां वाहन के कागजात सत्यापन के बाद 40 रुपये की रसीद कटेगी। इसके बाद आरटीओ परिसर में प्लेट लगाने वाली कंपनी के पास फीस जमा करनी होगी। दोपहिया वाहन की प्लेट की फीस 245 रुपये है। जबकि चौपहिया की 424 है। फीस जमा होने के एक सप्ताह में नंबर प्लेट बनकर आ जाएगी। इसके बाद वाहन को आरटीओ दफ्तर ले जाकर प्लेट लगवा सकते हैं। 

ये हैं एचएसआरपी   के फायदे 
देहरादून।
पुरानी नंबर प्लेट से छेड़छाड़ करना बहुत आसान है। इसको बदला भी जा सकता है, लेकिन एचएसआरपी से छेड़छाड़ करना संभव नहीं है। यह प्लेट एल्यूमीनियम से बनी होती है। यदि कोई वाहन ओवर स्पीड चल रहे हैं तो सड़कों के किनारे लगे सीसीटीवी कैमरे से वाहन को आसानी से ट्रेस सकते हैं।

इसके साथ ही नंबर प्लेट से वाहन की पूरी डिटेल मिल जाएगी। इसके बाद वाहन स्वामी को सीधे ई चालान भेजा सकता है। इससे चोरी के वाहनों को ट्रेस करना भी आसान हो जाएगा।

500 रुपये का होता है चालान 
देहरादून।
आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप सैनी ने बताया कि वाहनों पर एचएसआरपी नहीं होने पर कार्रवाई का भी प्राविधान है। इसमें 500 रुपये तक चालान किया जा सकता है। दून में कुछ वाहनों के चालान भी हो चुके हैं। कमर्शियल वाहनों को तभी फिटनेस दी जाती है, जब उन पर एचएसआरपी लगी हो। 

एचएसआरपी के लिए दो बार का वक्त दिया जा चुका है।  नए वाहनों में एचएसआरपी डीलर प्वाइंट पर ही लगाई जाने लगी है। जिन लोगों ने समय देने के बावजूद यह नहीं लगाई उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।    
एसके सिंह, उपायुक्त-परिवहन

 

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